नई दिल्ली, देश के कई हिस्से सूखे की चपेट में हैं। भारत में पानी को लेकर पिछले 16 साल में सबसे बुरी हालत का सामना कर रहे हैं। जल संसाधन निदेशक के मुताबिक हालात और खराब हों, इसके पहले सरकार जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए नए तौर-तरीके बनाने का प्लान कर रही है। सरकार किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लिए फंड देगी। साथ ही भूजल के ज्यादा दोहन के लिए जुर्माना भी निर्धारित करेगी। इसके लिए पानी पर कानून बनाया जाएगा। साल 2000 में हर वयक्ति को दो हजार क्यूबिक मीटर पानी प्रति वर्ष मिलता था। 2016 में ये आंकड़ा घटकर 1500 क्यूबिक मीटरध्वर्ष पर आ गया है। अनुमान के अनुसार15 साल बाद और बुरे हालात होंगे। एक आदमी को महज 1100 क्यूबिक मीटरध्वर्ष पानी में गुजारा करना होगा। मतलब साफ है कि यदि आपको साल में 1500 क्यूबिक मीटर पानी मिल रहा है तो जलसंकट की स्थिति बनी हुई है। एक आदमी को 1500 क्यूबिक मीटरध्वर्ष पानी की खपत पर चीन जलसंकट की घोषणा कर चुका है। यानी भारत में जलसंकट की स्थिति चीन से बुरी है। पिछले 2 सालों से बारिश कम होने के कारण जलाशयों में भी काफी कम पानी बचा है। जल संसाधन निदेशक शशि शेखर के मुताबिक सरकार भूजल उपयोग के नियमों में सुधार करने जा रही है। अगले 15 दिन में मॉडल कानून तैयार कर लिया जाएगा। दरअसल, जल संसाधानों का प्रबंधन राज्य के अधीन होता है। केंद्र मॉडल कानून का फ्रेमवर्क बनाकर राज्यों को सौंपेगा। जिन इलाकों को पानी की कमी के चलते डार्क जोन घोषित किया गया है, वहां पानी के उपयोग पर सीमा तय होगी। डार्क जोन वे इलाके हैं जहां भूजल की जितनी तेजी से खपत हो रही है, उतनी तेजी से उसका संग्रहण नहीं हो रहा। डार्क जोन में कुएं की खुदाई और इलेक्ट्रिक पंपों को रेग्युलेट किया जाएगा। बदले नियमों के मुताबिक, जैसे ही हालत खराब होंगे, प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। देश में नदियों की हालत भी बुरी है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं जिससे भूजल स्तर बढ़ नहीं रहा है। पेयजल का 85 फीसदी हिस्सा भूजल से ही प्राप्त होता है। ऐसे में नए कानून में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे। ऐसे होगा वाटर मैनेजमेंट: महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में जल प्रबंधन शुरू किया जाएगा। किसानों को ज्यादा पानी खाने वाली फसल उगाने से दूर कर कम पानी वाली फसलों के बारे में जागरूक करना होगा। इसके अलावा नए कानून में पूरे देश में पानी के समान उपयोग पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि साल के अंत तक इस पर कैबिनेट की मुहर लग जाएगी।