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जानिये, गंगा नदी मे गिरने वाले नालों और गंदगी की हकीकत

नयी दिल्ली,  हरिद्वार से लेकर गंगा सागर तक गंगा नदी में प्रदूषण पर रोकथाम के लिए विधायी पहल के तहत समग्र गंगा अधिनियम बनाने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है । इस विषय पर न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है ताकि प्रस्तावित कानून का खाका बनाया जा सके । जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया गया है कि वे इस रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करने के लिए तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें और यह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट दे।

हरिद्वार से गंगा सागर तक की कहानी गंगा नदी में औद्योगिकी कचरे से जुड़ी है । 1600 ग्राम पंचायत और 6000 गांव से निकलने वाली गंदगी भी स्थिति को गंभीर बनाते हैं। इससे निपटने के लिए सरकार पंजाब के सींचेवाला माडल की तर्ज पर अलग व्यवस्था भी कर रही है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के कपूरथला जिले में जाने माने पर्यावरणविद बलवीर सिंह सीचेंवाल ने काली बेन जलधारा को बहाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गंगा नदी में 144 बड़े नाले गिरते हैं और पांच से 10 हजार छोटे नालों से गंदगी नदी में आती है। उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से कहा गया है कि वे उन छोटे-छोटे तालाबों की सूची बना लें जिनकी मरम्मत करनी है । साथ ही गंगा नदी के किनारे छोटे तालाबों के निर्माण की पहल को आगे बढाएं । इससे अन्य बातों के अलावा गंगा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को मछली की सुविधा प्राप्त होगी।

 

इस बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि उन्होंने संसद में भी कहा था और अब भी उसे दोहरा रही हैं कि जब वह सांसद नहीं थी तब उन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए सांसदों व अन्य लोगों को गंगाजल भेजा था। उस समय सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सभी धर्मो व वर्गो के लोगों ने कहा था कि गंगा के विषय पर सभी एकमत हैं और इस पर कोई मतभेद नहीं है।

उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं के माध्यम से काम चल रहा है। अब समग्र गंगा अधिनियम बनाना है। इस बारे में कानून बनाने पर विचार चल रहा है। उमा ने कहा कि इस विषय पर जब संसद में विधेयक पेश होगा तब वह इसे पारित कराने में सभी वर्गो से वैसी ही एकजुटता प्रदर्शित करने का आग्रह कर रही हैं जैसा कि गंगाजल बांटते समय किया गया था।