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इंडक्शन ट्रेनिंग से भाग रहे 76 प्रमोटी आईएएस अफसरों को केंद्र की चेतावनी

नई दिल्ली, आईएएस बनने के बाद अनिवार्य इंडक्शन ट्रेनिंग से बच रहे देश के 76 प्रमोटी आईएएस अफसरों को केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय ने चेताया है। इनमें पांच प्रमोटी आईएएस अफसर मध्य प्रदेश के भी हैं। मंत्रालय ने सबको प्रमोशन के बाद अनिवार्य इंडक्शन ट्रेनिंग पूरी करने के लिए कहा है। इसके लिए जुलाई में एक और अंतिम मौका दिया जा रहा है।

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मंत्रालय ने चेताया है कि ऐसा न करने वाले अफसरों को ऐसी तमाम सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा, जो केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से दी जाती है। मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। सूची में ऐसे कई अफसर भी हैं, जिन्हें वर्ष 2002 में आईएएस अवॉर्ड हो गया था, लेकिन अभी तक अनिवार्य इंडक्शन ट्रेनिंग पूरी नहीं की।

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इसके अलावा सूची में वर्ष 2015 बैच तक के प्रमोटी आईएएस अफसरों को भी रखा गया है। इन राज्यों के अफसर सूची में मप्र, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्यों के अफसर ज्यादा हैं। इन सबको 3 जुलाई 2017 से 11 अगस्त 2017 के बीच अंतिम इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए कहा है।

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ये होते हैं प्रमोटी अफसर बता दें कि यह ऐसे अफसर हैं, जिनका चयन तो राज्य प्रशासनिक सेवा के जरिए होता है, लेकिन बाद में इन्हें आईएएस अवार्ड कर दिया जाता है। हालांकि इसकी लंबी प्रक्रिया होती है, जो संघ लोक सेवा आयोग की देखरेख में होती है, लेकिन आईएएस अवॉर्ड होने के बाद यह सभी कार्मिक मंत्रालय के अधीन हो जाते हैं। इनके लिए डीओपीटी के नियमों को मानना और ट्रेनिंग करना जरूरी होता है।

 

इंडक्शन ट्रेनिंग न करने वाले अफसरों की सूची में मप्र के भी ये आईएएस 2014 बैच के रामराव भोसले, 2015 बैच के आलोक कुमार सिंह, गोपालचंद डाड, उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला, वीरेंद्र सिंह रावत और भावना वलिम्बे। सबसे ज्यादा 24 अकेले तमिलनाडु से डीओपीटी ने देश भर के जिन 76 प्रमोटी आईएएस अफसरों द्वारा ट्रेनिंग न करने को लेकर राज्यों को एडवाइजरी जारी की है,उनमें सबसे ज्यादा 24 अफसर अकेले तमिलनाडु के हैं। यह वर्ष 2004 से2015 बैच तक के हैं। वहीं सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की है, जहां आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे अफसर हैं।