लखनऊ, 11 मई (वेबवार्ता)। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियन्त्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि जन-सामान्य में दुर्लभ ब्लड ग्रुप (निगेटिव रक्त गु्रप-।.ए ठ.ए।ठ.-व्.) पाये जाने की संभावना मात्र 5 से 7 प्रतिशत ही होती है, जिसकी कमी को दूर कर निरन्तर उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु राज्य रक्त संचरण परिषद द्वारा लगभग 20,000 स्वैच्छिक रक्तदाताओं की सूची जनपद की एनआईसी एवं राज्य रक्त संचरण परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध करायी गयी है, जिसमें दुर्लभ रक्त ग्रुप के रक्तदाताओं की सूची भी शामिल करायी गयी है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति इन वेबसाइट पर जाकर जनपदवार एवं रक्त ग्रुपवार रक्तदाता के विषय में सूचना प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि रक्तकोषों में दुर्लभ निगेटिव रक्त का अल्प स्टाॅक होने के कारण आवश्यकता के समय पर दुर्लभ गु्रप के पंजीकृत स्वैच्छिक रक्तदाताओं को बुलाकर रक्तदान कराकर आवश्यकता पूरी किये जाने की व्यवस्था की गयी है। श्री कुमार ने रक्त कोषवार समीक्षा कर निगेटिव ग्रुप के रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित कराने हेतु निर्देश देते हुये कहा कि प्रत्येक दुर्लभ ब्लड गु्रप (रक्त गु्रप-।.ए ठ.ए।ठ.-व्.) की कम से कम दो रक्त यूनिटें रक्तकोष में हमेशा उपलब्ध रहें, यदि निगेटिव रक्त उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में पंजीकृत दुर्लभ रक्तदाताओं को बुलाकर उनसे रक्त दान करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि रक्तकोषों में तैयार की गयी स्वैच्छिक रक्तदाताओं की सूची में निगेटिव गु्रप के रक्तदाताओं को अधिक से अधिक संख्या में जोड़े जाने हेतु विभिन्न प्रोफेशनल शैक्षणिक संस्थाएं, सर्विस एसोसिएशन इत्यादि का सहयोग प्राप्त किया जाए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इन व्यक्तियों से रक्तदान कराया जा सके। उन्होंने कहा कि रक्तदान से सम्बन्धित विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाओं का भी सहयोग लेते हुए उनके यहां पंजीकृत दुर्लभ रक्त समूहों के रक्तदाताओं की सूची रक्तकोष स्तर पर रखी जाए एवं वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाए। अधिक से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाए एवं दुर्लभ ग्रुप के रक्तदाताओं से आवश्यकतानुसार रक्तदान कराया जाए एवं भविष्य में पुनः रक्तदान हेतु सहमति लेकर स्वैच्छिक रक्तदाता सूची में पंजिकृत भी कर लिया जाए।