देहरादून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आयुर्वेदिक दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण और आधुनिक पैकेजिग के लिये बनाये गये बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ के एक शोध संस्थान का उद्घाटन किया और कहा कि यह समग, स्वास्थ्य देखभाल की ओर एक बड़ा कदम है जो भारत के पारंपरिक उपचार पद्धति की व्यापक स्वीकार्यता का मार्ग प्रश्स्त करेगा।
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हरिद्वार में इस अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने कहा, अगर आयुर्वेदिक दवाओं की आधुनिक तरीकों से पैकेजिंग की जाये तो दुनिया उन्हें तुरंत स्वीकार कर लेगी। मैं समझता हूं कि क्लीनिकल परीक्षण और आयुर्वेदिक दवाओं की पैकेजिंग के लिये आधुनिकतम प्रयोगशाला से लैस उच्च तकनीक वाले शोध संस्थान की स्थापना कर उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
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देश की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और कल्याणकारी विधाओं जैसे योग आदि के लिये आजादी से पहले या बाद में बहुत ज्यादा काम नहीं किये जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए मोदी ने योग गुरू को इस प्रकार के संस्थान की स्थापना कर देश के पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल पद्धति की महान सेवा करने तथा दुनिया के हर घर में योग को ले जाकर उसे एक आंदोलन में बदलने के लिये बधाई दी।
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मोदी ने कहा कि आजादी से पहले हमारी पारंपरिक दवा और स्वास्थ्य देखभाल पद्धति के जवाहरात को जानबूझकर छिपाकर रखा गया क्योंकि हम गुलाम देश थे लेकिन आजादी के बाद भी दुर्भाज्ञ से देश की सरकारों ने हमारी पारंपरिक प्रणाली को बढ़ावा देने की बजाय उन्हें भुला देने का प्रयास किया। इस मौके पर प्रधानमत्री ने योग गुरू के करीबी आचार्य बालकृष्ण द्वारा पिछले दस सालों में संकलित किया गया विश्वकोश वल्र्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का भी विमोचन किया।
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इस विश्वकोश में देश में पायी जाने वाली सत्तर हजार से भी ज्यादा जड़ी-बूटियों के नमूने हैं। मोदी ने रामदेव और उनके सहयोगी की योग और आयुर्वेद के प्रति अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाने के लिये सराहना भी की। पतंजलि योगपीठ ने देश को स्वच्छ, मजबूत और एकजुट बनाने के लिये मोदी द्वारा किये जा रहे अनथक प्रयासों के लिये उन्हें राष्ट्ररिषि की उपाधि भी दी।
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