कान, भारत के लिए पिछला कान फिल्म महोत्सव काफी बेहतरीन रहा था क्योंकि अविश्वसनीय रूप से भारत की दो फिल्मों का यहां चयन हुआ था। यह महोत्सव फ्रांसीसी निर्देशक आंद्रे देसप्लेशीं की फिल्म इस्माइल्स गोस्ट से हो रही है। यहां दक्षिण एशिया के तीन देशों श्रीलंका, बर्मा और अफगानिस्तान की तीन डॉक्यूमेंटी भी दिखाई जाएगी।
पायल कपाड़िया की 13 मिनट की दोपहर के बादल का भारत की इकलौती चयनित फिल्म है। यह फिल्म 60 साल की एक विधवा की कहानी है, जो मुंबई में अपनी नेपाली घरेलू सहायिका के साथ रहती है। इस फिल्म का चयन 2,600 फिल्म स्कूल के सबमिशन से किया गया है। पहली बार फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे की फिल्म की पहली एंट्री है। दरअसल एफटीआईआई ने पहली बार अपनी फिल्मों के चयन के लिए भेजा है।