नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि भारत को यह खुलासा करना चाहिए कि उन्नत किए गए विमान वाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव की कीमत बढ़ाने की रूसी पक्ष की मांग पर भारत क्यों राजी हुआ, इसके पीछे कारण क्या है। आयोग ने रक्षा मंत्रालय को उन कारणों का खुलासा करने का भी निर्देश दिया कि देश ने नया विमान वाहक पोत खरीदने के बजाए उन्नत किए गए युद्ध पोत को खरीदने का फैसला क्यों लिया। पोत का नाम बदल कर आईएनए विक्रमादित्य कर दिया गया था।
तत्कालीन राजग सरकार ने उसका 97.4 करोड़ डॉलर में सौदा वर्ष 2004 में किया था लेकिन वर्ष 2010 में इसकी अंतिम कीमत बढ़कर 2.35 अरब डॉलर कर दी गई थी। आयोग ने भारतीय सेना को निर्देश दिया कि वह अब 30 वर्ष पुराने हो चुके इस पोत की अंतिम कुल कीमत, उन्नत किए जाने पर खर्च, नवीकरण तथा नए सिरे से उसे बनाने पर हुए खर्च का खुलासा करे और यह भी बताए भारत ने इसके लिए कब-कब भुगतान किया।
नौसेना ने आयोग को यह कहकर भ्रमित करने की कोशिश की थी कि यह सूचना रक्षा मंत्रालय ही देगा लेकिन मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि सभी फाइलें नौसेना मुख्यालय के पास हैं और सूचना के लिए उसे ही कहा जाना चाहिए। सूचना आयुक्त अमिताव भट्टाचार्य ने पाया कि नौसेना खुलासा करने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय पर डाल रही है जबकि मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि इसका जवाब बल ही देगा।
भट्टाचार्य ने नौसेना को निर्देश दिया कि वह फाइलों का ब्यौरा, संवाद और रूसी पक्ष द्वारा कीमत में बदलाव करने मांग को स्वीकार करने संबंधी दस्तावेजों का खुलासा करे। आयोग ने पाया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नौसेना और मंत्रालय ने जो सूचना दबा रखी है उससे बड़ा जनहित जुड़ा है।
भट्टाचार्य ने मंत्रालय को उन कारणों का खुलासा करने का भी निर्देश दिया जिसके तहत भारत ने नए पोत की जगह उन्नत किए गए युद्धपोत को लेने का निश्चय किया। यह मामला आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल द्वारा दायर सूचना के अधिकार आवेदन से जुड़ा है जिसमें उन्होंने 44, 500 टन वजनी इस विमानवाहक के अधिग्रहण से संबंधित कई सूचनाएं मांगी थीं।