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प्रधानमंत्री की भी नही सुन रहे , आईएएस अफसर

नई दिल्ली,  मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कई कानून बनाये और इन कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात की .

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 लेकिन आईएएस अधिकारियों पर उनकी सख्ती का कोई असर होता नहीं दिख रहा.  1800 से ज्यादा आईएएस अधिकारियों ने नियत समयावधि के अंदर सरकार को अपनी अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है. भारतीय प्रशासकीय सेवा के सभी अधिकारियों को जनवरी अंत तक पिछले साल का अचल संपत्ति रिटर्न जमा करना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें पदोन्नति और एंपैनेलमेंट से वंचित किया जा सकता है.

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 कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के आंकड़ों के अनुसार, 1856 आईएएस अधिकारियों ने 2016 के लिए अपना रिर्टिन दाखिल नहीं किया है. इनमे राजस्थान के 153, मध्य प्रदेश के 118 , पश्चिम बंगाल के 109 सहित अरूणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केन्द्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं.

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डीओपीटी के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक काडर के 82, आंध्रप्रदेश के 81, बिहार के 74, ओडिशा, असम एव मेघालय के 72-72, पंजाब के 70, महाराष्ट्र के 67, मणिपुर-त्रिपुरा के 64 और हिमाचल प्रदेश के 60 आईएएस अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न  दाखिल नहीं किए हैं.कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग  के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में 1527 और 2014 में 1537 अधिकारियों ने अचल संपत्ति से जुड़ी अपनी जानकारी देने से इनकार कर दिया था.

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 भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए मोदी सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए कई नियम बनाए हैं. इसके तहत  अधिकारियों को 5 हजार रुपये तक का उपहार स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके अलावा यदि वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से 25 हजार रुपये तक के गिफ्ट लेने के लिए सरकार को सूचना देनी पड़ती है. 

मैं दूसरों का हौसला डिगाता हूँ, मेरा कौन डिगाएगा ?-लालू प्रसाद यादव