यूपी में गाँव की राजनीति और अर्थनीति एक आदमी तय करता है। स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव के अनुसार वह व्यकि्त है कोटेदार। जी हाँ! यूपी में कोटेदार बोलते हैं कोटे के दुकानदार को, राशन के दुकानदार को। ये गाँववालों का भविष्य तय करते हैं। किसको राशन मिलेगा, कितना मिलेगा, सब यही तय करते हैं। योगेंद्र यादव को यह अनुभव हाल ही मे इनके द्वारा की गई बुंदेल खण्ड की जल-हल पद यात्रा के दैरान मिले।
हालात यह हैं कि सूखाग्रस्त गांवों मे कोटेदार अवैध रूप से पैसे लेकर मुफ्त में मिलने वाली पर्चियाँ बाँट रहे हैं। खास बात यह है कि इन कोटेदारों का कोटा ऊपर भी बंधा हुआ है, एमएलए, एमपी, अधिकारी सबको पैसा जाता है। गाँव की राजनीति को समझना हो, गाँव की अर्थनीति समझनी हो, तो इन कोटेदारों से पूछिये।