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महिला सशक्तिकरण में छत्तीसगढ़ ने बनाई अलग पहचान- रमशिला साहू

नई दिल्ली,  देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में छत्तीसगढ़ ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राज्य में लगभग 80 हजार महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा पूरक-पोषण आहार योजना, मध्यान्ह भोजन सहित राशन दुकानों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। भारत का पहला वन स्टॉप सेंटर राज्य राजधानी रायपुर में प्रारम्भ हुआ। छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशिला साहू ने यहां एक गोष्ठी को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं।

राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण विषय पर आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए साहू ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा राज्य शासन के प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, राज्य में महिलाओं को विद्यमान कानूनों की जानकारी हेतु प्रतिवर्ष 4 हजार से अधिक शिविर आयोजित किये जाते हैं। महिला कोष के माध्यम से महिला स्व. सहायता समूहों को 3 प्रतिशत न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

अभी तक 20 हजार से अधिक महिला स्व. सहायता समूहों को आर्थिक सहायता दी गई है। साहू ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के पश्चात समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। राज्य में भूमि अधिकार प्रमाण पत्र परिवार के मुखिया के रूप में महिलाओं के नाम प्रदाय करने का निर्णय तथा मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत राशन कार्ड भी महिलाओं के नाम पर प्रदाय किया जा रहा है। ये सभी महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभिनव प्रयास है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में महिला एवं पुरूषों का अनुपात तुलनात्मक रूप से बहुत अच्छा है।

राज्य का स्त्री-पुरूष अनुपात 991 अनुपात 1000 है, जबकि भारत का औसत अनुपात 940 है। इस अनुपात में और सुधार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा नोनी सुरक्षा योजना लागू की गई जिसमें पंजीकृत बलिका का 18 वर्ष तक विवाह न होने एवं कक्षा 12 वीं तक शिक्षा पूर्ण होने पर वित्तीय संस्था द्वारा 1 लाख की परिपक्वता राशि दी जायेगी। राज्य के स्वसहायता समूह, महिला मंडल, ग्राम की उद्यमी महिलाओं को अन्य स्थान में संचालित उल्लेखनीय गतिविधियों के अध्ययन भ्रमण हेतु राज्य सरकार द्वारा दिशा भ्रमण का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है जिससे वे महिलाऐं आप को स्वावलंबी बना रही है।