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जजों की नियुक्ति के मुद्दे का हल जस्टिस खेहर के कार्यकाल में संभव नहीं

नई दिल्ली,  भविष्य में उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के दिशानिर्देशन संबंधी एक दस्तावेज को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे तीखे मतभेदों का प्रधान न्यायाधीश जेएस. खेहर के कार्यकाल में सुलझा पाना संभव नहीं दिखता। न्यायमूर्त खेहर अगले माह सेवानिवृा हो रहे हैं। सरकार में मौजूद सूत्रों ने कहा कि प्रक्रिया पत्र के विभिन्न प्रावधानों पर कोलेजियम द्वारा जताई गई आपत्तियों पर केंद्र जल्द प्रतिक्रिया देता दिखाई नहीं देता। कोलेजियम द्वारा जताई गई आपत्तियों पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय को ही लेना है।

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सूत्रों ने कहा कि दस्तावेज को नए मतभेदों के बिना अंतिम रूप दिया जाना सुनिश्चित करने के लिए जवाब तैयार करना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि हो सकता हैकि जवाब न्यायमूर्त िखेहर के 28 अगस्त को पद से हटने से पहले न आ पाए। ही सरकार और शीर्ष अदालत प्रक्रिया पत्र को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। यह दस्तावेज उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति के बारे में दिशानिर्देशन देगा।

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राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तियां आयोग कानून को खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय प्रक्रियापत्र में संशोधन के लिए सहमत हो गय था ताकि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्तियों में ज्यादा पारदर्शतिा लाई जा सके। नए कानून ने दो दशक पुरानी उस कोलेजियम व्यवस्था को बदलने की बात की थी, जिसमें जज ही जजों को नियुक्त करते हैं। उस कानून ने जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका का दखल होने की मांग की थी।

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राष्ट्रीय सुरक्षा और सचिवालय संबंधी प्रावधान प्रक्रिया पत्र का हिस्सा हैं, जो कि 22 मार्च 2016 से सरकार और कोलेजियम के बीच झाूल रहा है। मार्च में दिए सबसे हालिया जवाब में कोलेजियम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी जज के नाम की सिफारिश को सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के नाम पर लौटा देती है तो अंतिम फैसला कोलेजियम का ही होगा। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में उच्चतम न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों की इकाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के आधार पर आपाियां होती हैं, तो वह यह बात कोलेजियम को बताएगी। तब कोलेजियम अंतिम फैसला लेगा।

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