अगर आपको डायबिटीज हैं तो आपके लिए रोजाना एक गिलास वाइन पीना फायदेमंद हो सकता है। हाल ही में एक स्टडी में कहा गया है कि रेड वाइन की डेली डोज लेने से कंट्रोल्ड टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीजों का कलेस्टरॉल लेवल कंट्रोल में रहता है। साथ ही उनका दिल भी स्वस्थ रहता है।
एक स्टडी में कहा गया है कि मरीज के ऐल्कॉहॉल मेटाबॉलिज़म व जनेटिक प्रोफाइलिंग के आधार पर, रेड और वाइट दोनों ही वाइन उसके ग्लूकोज़ कंट्रोल को सुधार सकती हैं। स्टडी दिखाती है कि मेडिटरेनीअन डायट लेने वाले लोगों के दिल के लिए वाइन काफी अच्छी है। वाइन में ऐंटीऑक्सिडेंट क्वॉलिटीज होती हैं जो एजिंग और डेमेंशिया व ऐल्टशाइमर्ज़ डिज़ीज़ के लक्षणों को नियंत्रित रखती हैं।
हमेशा से बहस का मुद्दा
वाइन और डायबिटीज के बीच का संबंध हमेशा बहस का मुद्दा ही रहा है। वाइन फलों से बनाई जाती है और इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी मीठा माना जाता है। हालांकि इस नई स्टडी में वेल कंट्रोल्ड टाइप 2 डायबिटीज के 224 मरीजों को 2 साल के लिए डिनर में 150 ml मिनरल वॉटर, वाइट वाइन और रेड वाइन दी गई। इसके बाद उनके लिपिड और ग्लास्मिक कंट्रोल प्रोफाइल्स को नापा गया। स्टडी के मुताबिक, दो साल के बाद जिन मरीजों ने वाइन पी थी, उनके कार्डियोमेटाबॉलिक रिस्क, मिनरल वॉटर पीने वालों से कम निकले। रेड वाइन पीने वालों के लिपिड वैरिएबल में सबसे अहम बदलाव आए।
क्या डॉक्टर्स देगें सलाह
ऐसे में क्या भारतीय डॉक्टर्स डायबिटीज के मरीजों को वाइन लेने की सलाह देंगे? इस पर डॉक्टर्स का जवाब न है। बांद्रो के लीलावति हॉस्पिटल के एंडोक्रिनॉलजिस्ट डॉ. शशांक जोशी का कहना है कि मेडिटरेनीअन डायट न लेने वाले भारतीयों को वाइन लेने की सलाह देना बेतुका है। यहां तक कि अमेरिकन डायबिटीज असोसिएशन भी वाइन लेने से रोकता है और हफ्ते में दो बार केवल 60ml वाइन लेने की ही सलाह देता है। दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल के एंडोक्रिनॉलजिस्ट डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि पिछली कुछ स्टडीज से हमें पता चला है कि कम मात्रा में ऐल्कॉहॉल लेना शरीर के लिए हानिकारक नहीं है लेकिन इस स्टडी को भारतीयों के लिए सावधानी से लेना चाहिए क्योंकि उनके लिवर और पैन्क्रीअस में अत्यधिक फैट होता है। ऐल्कॉहॉल इसे बढ़ा सकता है।