नई दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव के लिए प्रचार प्रसार खत्म हो गया है. आज वोटिंग होनी है. इस बार के चुनाव में नजीब का कैंपस से गायब होना बड़ा मुद्दा है. इसके साथ ही यहां सीट कट भी मुद्दा है. स्थानीय मुद्दों हॉस्पिटल आदि की सुविधा पर भी चर्चा है.
जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए 6 सितंबर की रात प्रेसिडेंसियल डिबेट हुई. अध्यक्षीय परिचर्चा (प्रेसिडेंशियल डिबेट) मेंअलग-अलग छात्र संगठनों ने अपनी बेबाक राय और अपने विपक्षियों की कमियों को उजागर किया. छात्र संगठनों के उम्मीदवारों ने 24 घंटे पहले हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से लेकर नजीब और सीट कटौती के मुद्दों को उठाकर छात्रों को अपनी ओर करने की पुरजोर कोशिश की.
अध्यक्षीय परिचर्चा की शुरुआत बापसा की शबाना अली ने की। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार के आने के बाद से ब्राह्मणवाद को बढ़ावा मिला है, आए दिन लोगों को हमले हो रहे हैं और ये हमले अब विश्वविद्यालय परिसर तक पहुंच गए हैं. उन्होंने वाम एकता को झूठी एकता करार दिया.
एबीवीपी की निधि त्रिपाठी ने परिसर के मुद्दों जिनमें प्लेसमेंट, स्वास्थ्य केंद्र आदि की समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने की बात कही।उन्होंने लेफ्ट पर पूरे देश और दुनिया की बात करने और कैंपस को छोड़ देने के आरोप लगाए.नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आॅफ इंडिया (एनएसयूआइ) की वृशिंका ने वाम दलों से पूछा कि आप परिसर में एकता की बात तो करते हो लेकिन उससे एनएसयूआइ को बाहर रखते हो, ऐसे में एकता कैसे आएगी.
निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद फारुक आलम ने अपने बेलाग लपेट संबोधन से उन्होंने श्रोताओं को बांधे रखा और वैचारिक लड़ाई में शामिल छात्र संगठनों पर जमकर निशाना साधा. बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) पर आलम ने आरोप लगाया कि आप लोगों को जाति के रूप में देखतें हैं, एक इंसान के रूप में नही। आप गुजरात के गुना की बात करते हैं लेकिन नोएडा के अखलाक के लिए एक पर्चा तक नहीं लाते हैं. आलम ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के संगठन आॅल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यहां अध्यक्ष पद का उम्मीदवार तो दो वर्ष से तय है.
एआइएसएफ की अपराजिता राजा ने कहा कि पूरी दुनिया में फासिस्ट शक्तियां बढ़ रही हैं. प्रधानमंत्री तो हमेशा एअर प्लेन मोड में ही रहते हैं. अपराजिता ने आइसा पर छात्रों के मुद्दों को न सुलझाने का भी आरोप लगाया। सबसे बाद में आइसा की गीता ने गौरी लंकेश की हत्या और म्यांमा में रोहिंग्या मुसलमानों का मामला उठाया. गीता ने कहा कि देश की वर्तमान सरकार लोगों को डराकर रखना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार देश के नागरिकों से डर कर रहे.