लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर जहां कार्यकर्ता और पदाधिकारी उत्साहित हैं वहीं समाजवादी पार्टी के भविष्य को लेकर अंधविश्वाश भी व्याप्त है.
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आगरा में 5 अक्टूबर को होने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोबारा अध्यक्ष के तौर पर अपने चुनाव पर मुहर लगवाएंगे. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता तो इसी बात से उत्साहित हैं कि ये अधिवेशन आगरा में हो रहा है. क्योंकि समाजवादी पार्टी के लोग मानते हैं कि आगरा पार्टी के लिए भाग्यशाली रहा है.
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पार्टी कार्यकर्ताओं के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने आगरा में आकर जब जब अपना सम्मेलन किया है तब तब पार्टी का भला हुआ है. पहली बार, साल 2003 में पार्टी की स्थापना करने के बाद, मुलायम सिंह यादव ने आगरा में ही पार्टी का अधिवेशन किया था जहां पार्टी के बारे में तमाम फैसले किये गए थे. आगरा उनके लिए भागयशाली साबित हुआ और विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी सरकार बनाने की हैसियत में आ गई.
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दूसरी बार, 2007 में बीएसपी के हाथों बुरी तरह पराजित होने के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी आगरा की शरण में आई. 2009 में और फिर 2011 में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में किया गया. इसी अधिवेशन में मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को पार्टी के युवा चेहरे के तौर पर आगे किया और अगले विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने.
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लेकिन यह मात्र समाजवादी पार्टी का अंधविश्वास ही है. जो समाजवादी पार्टी की वैज्ञानिक सोंच के अनुरूप नही है. जबकि सच यह है कि अंधविश्वास ने नही बल्कि मुलायम सिंह यादव की मेहनत और राजनैतिक सूझबूझ ने मुलायम सिंह यादव को आगे बढ़ाया. 2012 मे, अखिलेश यादव की साफ सुथरी छवि और उनके द्वारा किये गये महत्वपूर्ण वादों के कारण पार्टी सत्ता मे आयी.
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अखिलेश यादव पार्टी का युवा चेहरा हैं और विज्ञान तथा तकनीक के विद्यार्थी रहें हैं. एेसे मे उनसे सबकी अपेक्षा है कि वह इन अंधविश्वास पूर्म बातों को स्थान नही देंगे. साथ ही वह समाजवादी पार्टी मे अंध विश्वास नही, बल्कि जन विश्वास को बढ़ावा देंगे.
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