भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को जेल मे रखने की क्या है साजिश ? जानिये, पूरी बात..
November 10, 2017
लखनऊ, भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण को सभी मामलों मे जमानत मिलने के बावजूद जेल से रिहा न करना अब जन आक्रोश का रूप ले रहा है। चंद्रशेखर उर्फ रावण के लगातार खराब हो रहे स्वास्थ्य और भाजपा सरकार के द्वेषपूर्ण रवैये को देखते हुये समर्थकों मे इस बात को लेकर शंका बढ़ रही है कि कहीं जेल मे उनके साथ कोई अनहोनी न हो जाये।
भीम आर्मी के संस्थापक को जेल जाने से पूर्व कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। चंद्रशेखर एक स्वस्थ और ऊर्जावान युवा दिखते थे लेकिन अब जो जेल से तस्वीरें आ रही हैं उसमें चंद्रशेखर , बीमार, निस्तेज, व्हील चेयर या बेड पर लेटे हुये दिखायी पड़ रहें हैं जो अपने पैरों पर भी नही चल सकता है। जेल सूत्रों के अनुसार चंद्रशेखर उर्फ रावण को पेट में इंफेक्शन हुआ है।
सहारनपुर जेल में बंद चंद्रशेखर को मंगलवार की रात मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया । मेरठ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर तुंगवीर सिंह आर्य के अनुसार, चंद्रशेखर के पेट में इंफेक्शन हुआ है और उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया है। चंद्रशेखर की तबीयत एक सप्ताह पहले भी जेल में खराब हुई थी। तब चंद्रशेखर को सहारनपुर में ही जिला अस्पताल ले जाया गया था। इलाज के बाद फिर से जेल भेज दिया गया। लेकिन मंगलवार को दिन में फिर से तबीयत खराब होने की शिकायत करने पर रात में मेरठ मेडिकल कॉलेज मे भर्ती कर दिया गया।
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को सहारनपुर में हुई हिंसा के आरोप मे गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में बंद है। चंद्रशेखर के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज किये गयें हैं। एक मामले में सहारनपुर कोर्ट और 4 मामलों में हाई कोर्ट इलाहाबाद से जमानत हो चुकी है। जमानत देते समय हाई कोर्ट के जज ने कहा कि उन्हे राजनैतिक द्वेश वश फंसाया गया है। उसके बाद भी चंद्रशेखर को जेल से रिहा होता देख भाजपा सरकार ने उस पर रासुका लगा दी है।
चंद्रशेखर का कहना है कि वह अपने खिलाफ लगाई गई रासुका से कतई नहीं डरता है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि भीम आर्मी के संस्थापक से सरकार को एेसा कौन सा खतरा है कि वह गंभीर रूप से बीमार चंद्रशेखर को जमानत मिलने के बाद भी जेल से छोड़ना नही चाहती है। अचानक दलित समाज के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाला और उनके कल्याण के लिये काम करने वाला युवा एडवोकेट, देश की सुरक्षा के लिये कैसे खतरा बन गया।
क्या भाजपा सरकार दलित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाले इस युवा की आवाज हमेशा के लिये खत्म कर देना चाहती है या यूपी के नगर निकाय चुनाव और गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा सरकार बीमार चंद्रशेखर को रिहा कर चुनाव हारने का कोई रिस्क नही लेना चाहती है।
कुछ भी हो चंद्रशेखर के साथ भाजपा सरकार द्वारा की जा रही ज्यादती को देखकर दलितों – पिछड़ों मे विशेष रूप से सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। भीम आर्मी ने रासुका लगाए जाने के खिलाफ गुरुवार को यूपी के सभी जिलों में भूख हड़ताल और प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। हालांकि, प्रशासन ने निकाय चुनाव के मद्देनजर और धारा 144 लागू होने के कारण अनुमति नहीं दी। भीम आर्मी के सूत्रों के अनुसार, अब 3 दिसंबर को इसी मुद्दे को लेकर सहारनपुर में विशाल जनसभा होगी।
भाजपा सरकार के उत्पीड़न के खिलाफ और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर के पक्ष मे सोशल मीडिया पर बड़ा अभियान भी चल रहा है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिस समुदाय के लिये यह युवा संघर्ष कर रहा है उस समाज के किसी राष्ट्रीय नेता ने चंद्रशेखर के पक्ष मे एक बयान देना भी मुनासिब नही समझा।