लखीमपुर खीरी , भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पलिया और निघासन के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले स्कूली बच्चों को अब केरोसिन तेल की लालटेन की मद्धम रोशनी में पढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी, अब वह सौर ऊर्जा से प्रकाशित होने वाले लालटेनों की दूधिया रोशनी में पढ़ सकेंगे।
आईआईटी बंबई और नवीन एवं केन्द्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से एक परियोजना शुरू की गयी है। इसके तहत जहां बिजली उपलब्ध नहीं है वहां के निवासहियों को सौर लालटेन मुहैया कराये जाएंगे।
आईआईटी बंबई के उत्तर प्रदेश के परियोजना प्रबंधक शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यह परियोजना 17 सितंबर से शुरू हो गयी है। इसका लक्ष्य उत्तर प्रदेश के 29 जिलों में बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को 34 लाख सौर लालटेन देने का है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का सबसे ज्यादा लाभ लखीमपुर खीरी जिला को मिलने वाला है क्योंकि यहां सबसे अधिक करीब एक लाख सौर लालटेनों का वितरण होना है।
जिले के पलिया, निघासन और लखीमपुर ब्लॉक के छात्रों को इससे सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। इस परियोजना के तहत इन ब्लॉक की महिलाओं स्वयं सहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा क्योंकि सभी सौर लालटेन यहीं एसेंबल की जा रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को इस संबंध में 15 दिसंबर को प्रशिक्षण दिया गया।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त अजय पांडेय ने बताया कि विभिन्न स्वंय सहायता समूहों की करीब 80 महिलाओं को इन सौर लालटेनों को एसेम्बल करने का काम सौंपा जाएगा। विद्यार्थियों को यह लालटेन महज 100 रुपये प्रति ईकाई की दर से उपलब्ध करायी जाएगी जबकि इनकी वास्तविक कीमत 700 रूपये है। उन्होंने कहा कि इन लालटेनों को एसेम्बल करने वाली महिलाओं को 12 रुपये प्रति लालटेन और वितरण करने वालों को 17 रुपये प्रति लालटेन दिया जायेगा।