सामाजिक भेदभाव और आर्थिक विषमता बढ़ाने वाले, कर रहे समाजवाद पर प्रहार – सपा
March 30, 2018
लखनऊ, समाजवादी पार्टी ने यूपी राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘समाजवाद‘ पर किये गये हमले का तीखा जवाब देते हुये कहा है कि सामाज मे भेदभाव और आर्थिक विषमता बढ़ाने वाले ही समाजवाद पर प्रहार कर रहें हैं।
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि चाहे कोई कितने भी बड़े पद पर हो इसका आचरण अथवा अभिव्यक्ति संवैधानिक मर्यादा के अंदर होना चाहिए। राज्य के मुख्यमंत्री जिस तरह ‘समाजवाद‘ पर टिप्पणी की है वह सरासर असंवैधानिक कृत्य है। समाजवाद सामाजिक-आर्थिक समानता के सिद्धांत से प्रतिबद्ध है। जो सामाजिक गैरबराबरी और आर्थिक विषमता के पोशक हैं, वही समाजवाद पर प्रहार कर रहे हैं।
सपा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि भाजपा सरकार से जिस नैतिक आचरण और संवैधानिक जिम्मेदारी की अपेक्षा है उसका सर्वथा अभाव दिखाई देता है। संविधान की पवित्रता को बचाने के लिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा पद के दुरूपयोग के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए। महामहिम राज्यपाल महोदय को तत्काल भाजपा के अनैतिक और संविधान के प्रति अवमाननापूर्ण आचरण का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री को पदमुक्त करना चाहिए क्योंकि यह एक गंभीर मामला है।
राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर (इलाहाबाद) के लोकसभा उपचुनावों में भाजपा को समाजवादी पार्टी से मिली करारी हार पच नहीं रही है। वहां के मतदाताओं ने भाजपा की समाज को बांटने और साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने की राजनीति को तिरस्कृत कर दिया इससे भाजपा में कुछ ज्यादा ही बौखलाहट नज़र आ रही है। समाजवाद की आड़ में संविधान पर भी हमला बोला जा रहा है। भाजपा का यह आचरण लोकतांत्रिक नहीं है।
सपा ने कहा कि वस्तुतः समाजवाद पर लोगों की उम्मीद है क्योंकि उसमें वंचित, दलित और कमजोर वर्ग की आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति है। समाजवाद में किसान, नौजवान, अल्पसंख्यक और गरीबों, को वरीयता है। समाजवाद श्रम का सम्मान करता है जबकि समाजवाद विरोधी पूंजीघरानों की स्वार्थपूर्ति की राजनीति को बढ़ावा देते हैं। लोकतंत्र समता की आकांक्षा पैदा करता है। देश की सामाजिक-धार्मिक विविधता को भय और आतंक के जरिए दुष्प्रभावित करने वाली ताकते ही धर्मनिरपेक्षता पर आघात करती हैं। जब अपने से असहमत विचारों के प्रति असहिष्णुता जोर पकड़ती है तो न केवल भारत के लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होता है बल्कि उसकी एकता में भी दरार पड़ती है।
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि भाजपा भारत रत्न और संविधान निर्माता डा0 भीमराव आम्बेडकर का अपमान भी कर रही है। स्पष्ट है कि भाजपाई गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के विरोध में है। अखिलेश यादव ने ठीक ही कहा है कि डा0 आंबेडकर को बच्चा-बच्चा जानता है। लिहाजा वे नए परिचय के मोहताज नहीं है। योगी जी को संविधान पढ़ना चाहिए और महापुरूषों के साथ सियासत नहीं करनी चाहिए।
राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार जिस तरह संविधान को ही चुनौती दे रही है, वह एक गंभीर स्थिति है। यहां कानून का राज नहीं रह गया है। दूसरों पर गुंडाराज का आरोप लगाना आसान है। अपनी भी सरकार के कारनामों को याद करना चाहिए। यदि भाजपा राज में अपराधी भयभीत हैं तो यूपीकोका की क्या जरूरत थी? मुख्यमंत्री जी की हठधर्मिता से संवैधानिक व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं। इस पर राजभवन की चुप्पी क्यों?