सहारनपुर-भीम आर्मी कार्यकर्ता का हुआ अंतिम संस्कार, भीम आर्मी का धरना जारी
May 10, 2018
सहारनपुर, भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया का अंतिम संस्कार आज तनाव तथा भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान भीम आर्मी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ही जेएनयू के भी कुछ छात्र मौजूद रहे।
सचिन वालिया की कल सुबह गोली लगने से मौत हो गई थी। परिवारीजन ने राजपूत समाज के चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाते हुए जिला अस्पताल में जमकर बवाल किया था। पुलिस से भी धक्का-मुक्की की गई थी। इसके बाद रातभर परिजनों व भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने शव पुलिस के हवाले नहीं किया। पुलिस ने आज ही तड़के चार बजे शव कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।
सुबह लगभग साढ़े छह बजे शव का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद परिजन व कार्यकर्ता शव को नीले कपड़े में लपेटकर गांव ले गए। सुबह लगभग 11 बजे पुलिस, पीएसी व आरएएफ की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया। भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण को बुलाने की मांग की, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुए इन्कार कर दिया।
सचिन के अंतिम संस्कार के बाद नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सहारनपुर-बडग़ांव मार्ग पर धरना जारी है। बड़ी संख्या में दलित महाराणा प्रताप भवन को सील करने, सचिन के एक परिजन को सरकारी नौकरी दिलाने, मुआवजा दिए जाने और महाराणा प्रताप जयंती को अनुमति देने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही शहर में इंटरनेट सेवाएं अभी भी बंद हैं।
सचिन की हत्या में चार लोगों को नामजद किया गया हैं जिसमें एक फूलन देवी के कातिल शेरसिंह राणा को भी नामजद किया गया है। शेर सिंह राणा राजपूत महासभा से जुड़ा है और उसके बारे में कहा गया है कि जिस समय सचिन को गोली लगी, उस समय वह सहारनपुर में बुधवार को होने वाले महाराणा प्रताप जयंती समारोह में शिरकत करने आया था। इसलिए सचिन के परिजन उस पर आरोप लगा रहे हैं और नामजद किया है।
दरअसल, शेर सिंह राणा इससे पहले 2017 में सहारनपुर के ही शब्बीरपुर गांव में हुई हिंसा में भी आरोपों में घिर चुका है। शब्बीरपुर में जिस डीजे को निकालने को लेकर विवाद हुआ था, वह डीजे सिमलाना गांव में महाराणा प्रताप जयंती समारोह में शामिल होना था। उस समारोह में शेरसिंह राणा मुख्य अतिथि था। उस समय दलितों ने आरोप लगाया था कि शब्बीरपुर की हिंसा शेर सिंह राणा ने अपने साथियों के साथ आकर कराई थी। हालांकि तब किसी केस में नामजद किया था। उसी समय से शेर सिंह राणा को लेकर दलित नाराज हैं।