अखिलेश यादव का ये अंदाज ही चुनौतियों पर दिलाता है विजय..
June 3, 2018
लखनऊ, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को जहां ज्यादातर लोग राजनेता के तौर पर पसंद करतें हैं, वहीं काफी एेसे लोग भी हैं, जिनकी राजनैतिक विचारधारा भले ही अखिलेश यादव से न मिलती हो लेकिन पर उनके व्.वहार, आदतों और एटीट्यूड के वे कायल हैं।
एेसा ही एक पाजिटिव एटीट्यूड एकबार इस युवा नेता ने फिर दिखाया, जब कल अपना सरकारी बंगला खाली किया। जिस जगह पर व्यक्ति सालों से रह रहा हो, उस स्थान को छोड़ना निश्चित रूप से तकलीफ देह होता है। लेकिन एेसी स्थिति मे भी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने सकारात्मक रूख का परिचय दिया.
अखिलेश यादव ने 4 विक्रमादित्य मार्ग स्थित बंगला छोड़ दिया और ट्वीटर पर लिखा, कभी मैं धौलपुर, कभी मैसूर, न जाने कहां-कहां न गया…जब भी एक जगह से दूसरी जगह गया, कुछ नया पाया, कुछ नया सीखा… अब एक बार और सही… हमारे देश की संस्कृति भी तो यही कहती है… चलते रहो-चलते रहो।
कभी मैं धौलपुर, कभी मैसूर और न जाने कहां-कहां न गया… जब भी एक जगह से दूसरी जगह गये कुछ नया पाया, कुछ नया सीखा… अब एक बार और सही… हमारी देश की संस्कृति भी तो यही कहती है… चलते रहो-चलते रहो…
वह अपने परिवार के साथ वीवीआईपी गेस्ट हाउस चले गए। सूत्रों के अनुसार, उनका बंगला सुशांत गोल्फ सिटी में तैयार हो रहा है, जहां जल्द ही वह शिफ्ट होंगे। उन्होंने सरकारी बंगला खाली करने के बाद पहली शाम जनेश्वर मिश्र पार्क में बिताई। जनेश्वर मिश्र पार्क आने पर कहा, मुझे कसरत करने की पुरानी आदत है। अब घर में जगह नहीं है तो यहां आना पड़ेगा। वैसे भी हर रोज किसी न किसी ऐसी जगह वॉक करूंगा जो सपा सरकार के कार्यकाल में बनी है। इससे मैं लोगों से मिल सकूंगा। मेरे आने से जनेश्वर मिश्र पार्क में भी सुविधाएं बढ़ेंगी।
अखिलेश यादव ने बंगला खाली करने के सवाल पर कहा कि सरकारी चीज स्थायी नहीं होती। हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, इसलिए सरकारी आवास छोड़ दिया। जब तक हमारा कोई इंतजाम नहीं हो जाता, हम वीवीआईपी गेस्ट हाउस में रहेंगे। उन्होने अपने ट्वीट मे देश की संस्कृति का हवाला देते हुए यह बताने की कोशिश की है कि बदलाव या परिवर्तन जीवन का अहम हिस्सा है और इस बदलाव ने हमेशा मेरी जिंदगी मे कुछ अच्छा जोड़ा है, कुछ नया पाया, कुछ नया सीखा है। एकबार और मुझे मौका मिला है इसलिये चलते रहो , आगे बढ़ते रहो।