यूपी सरकार का आर्थिक एवं जातीय सर्वेक्षण, लोकसभा चुनाव के लिये एक और दांव
June 28, 2018
लखनऊ , उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं को लाभ और अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिये तीन महीने के भीतर आर्थिक एवं जातीय सर्वेक्षण कराने की घोषणा की है। प्रदेश सरकार के इस कदम को वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय मंजूरी प्रदान की है। बैठक में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2011 में हुई जनगणना के दौरान आर्थिक और जातीय सर्वेक्षण कराया था लेकिन तब से अब तक काफी फेरबदल हो चुका है। अधिक से अधिक लोगों को सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं को लाभ पहुंचाने के लिये आर्थिक और जातीय सर्वेक्षण कराया जाये।
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि इस सर्वेक्षण से निश्चित रूप से आैर अधिक परिवार सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं से लाभांन्वित होेंगे। उन्होने कहा कि सर्वेक्षण के बाद आयुष भारत, प्रधान मंत्री आवास योजना, राशन कार्ड तथा अन्य योजनाओं में अधिक पात्र परिवार शामिल होंगे।
उन्होने कहा कि सर्वेक्षण का काम पूरा के लिये अधिक से अधिक तीन महीने का समय दिया है। लोगों का इस साल के अन्त सभी योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा।सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में लगभग एक करोड़ बीपीएल परिवार तथा पांच करोड़ लोग और हैं जिन्हे सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाएं का लाभ मिल रहा है। नये सर्वेक्षण में इनकी संख्या दोगुनी हो सकती है।
वर्ष 2007-2012 में मायावती शासन के दौरान, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी सरकार ने इसी तरह के आर्थिक और जाति सर्वेक्षण कराये थे लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका। भारतीय जनता पार्टी सरकार सर्वेक्षण जल्दी समाप्त कराने के लिये बसपा सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण की मदद ले सकती है। योगी सरकार का मुख्य उद्देश्य, लोकसभा चुनाव से पहले इसे पूरा कराकर इसका चुनाव मे राजनैतिक लाभ लेना है।