स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली से आए करीबन 2 दर्जन से ज्यादा बौद्ध भिक्षुओं ने दलित समुदाय के लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया। यह प्रक्रिया करीब 3 घंटे मे पूरी हुई, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं ने सैकड़ों दलितों को दीक्षा दी और मौके पर ही दलितों को बौद्ध धर्म के सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। ये सैकड़ों दलित पिछले करीब 6 महीने से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। लेकिन भाजपा सरकार ने इनकी मांगों को नही सुना।
सूत्रों के अनुसार, यह दलित परिवार भाजपा सरकार से कोई ठेके पट्टे, पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी नही मांग रहे थे। वे अपने खिलाफ अपने दलित समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज न्याय की मांग कर रहे थे। जींद के एक गांव की लड़की के साथ गैंगरेप, कुरुक्षेत्र की लड़की के साथ गैंगरेप, भिवानी की दलित लड़की के साथ गैंगरेप की घटनाओं की दलित समाज के लोग सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। भाजपा सरकार ने छातर गांव के शहीद परिवार को नौकरी दिए जाने सहित कई मांगें अभी तक पूरी नहीं की।
इन सब मांगों को लेकर कईं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन भाजपा सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। दो माह पहले भी जब भाजपा सरकार ने मांगे नहीं मानीं तो 120 दलितों को मजबूर होकर दिल्ली के लद्दाख बुद्ध भवन में जाकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा था। लेकिन उसके बाद भी सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी। अब एक बार फिर सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर हो गये।
ये धर्म परिवर्तन वास्तव मे भाजपा सरकार को आइना दिखाने का काम करेगा, क्योंकि बीजेपी सरकार हिन्दू धर्म के मुद्दे को लेकर हमेशा बात करती रहती है, लेकिन जमीनी हकीकत पर उनके लिए काम नहीं किए जा रहे हैं।