इस्लामाबाद, पाकिस्तान के नये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने पद की शपथ लेने के तुरंत बाद आज भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और तमाम लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिये ‘‘निर्बाध’’ वार्ता की पेशकश की। उन्होंने कहा कि इस दिशा में यही समझदारी होगी क्योंकि दोनों में से कोई भी देश किसी तरह का ‘‘दुस्साहस’’ झेलने की स्थिति में नहीं हैं।
पाकिस्तान में राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद कुरैशी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय गये और वहां मीडिया को संबोधित किया।
कुरैशी वर्ष 2008 से 2011 तक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री थे। इसी दौरान वर्ष 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले हुए थे। भारत की आर्थिक राजधानी में जिस वक्त पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने हमले किये थे, उस वक्त कुरैशी नयी दिल्ली में ही थे।
नये विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान पूर्वी एवं पश्चिमी पड़ोसी देशों के साथ फिर से रिश्ते ठीक करना चाहता है और क्षेत्र में शांति बनाये रखना चाहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बातचीत के जरिये भारत के साथ सभी मुद्दों को सुलझाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें निरंतर निर्बाध वार्ता की आवश्यकता है। यही हम सभी के लिये ठीक होगा। हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में खटास बढ़ी है और दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है।
पाकिस्तान स्थित समूहों द्वारा वर्ष 2016 में आतंकवादी हमलों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ गया। कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव को पिछले साल अप्रैल में पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध और बिगड़ गये। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के उपाध्यक्ष कुरैशी ने आज बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल प्रधानमंत्री इमरान खान को बधाई पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत का जिक्र किया था। कुरैशी ने कहा ‘‘मैं उनके पत्र का स्वागत करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की विदेश मंत्री से यह कहना चाहता हूं कि हमलोग ना सिर्फ पड़ोसी हैं बल्कि परमाणु शक्ति सम्पन्न भी हैं। हमारे पुराने मुद्दे हैं और हम दोनों यह जानते हैं कि ये मुद्दे क्या हैं। हमें इन मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है। कुरैशी ने कहा कि इतने करीब होने के कारण दोनों देश किसी तरह का ‘‘दुस्साहस’’ बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग किसी तरह का दुस्साहस नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं क्योंकि प्रतिक्रिया का समय बहुत कम है। एकमात्र विकल्प है कि हम एक दूसरे के साथ बातचीत करें। हमलोग दुश्मनी में नहीं जी सकते हैं और हमें यह स्वीकार करना होगा कि प्रमुख मुद्दे हैं।’’