योगी सरकार को नहीं सूझ रही अखिलेश यादव के इस काम की काट,लगाए गये टेक्निकल एक्सपर्ट
September 4, 2018
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए पूर्व कि अखिलेश यादव सरकार का ये काम सिरदर्द बन गया है. सरकार इसकी काट ढूंढने में परेशान है. अब इस काम के लिए उन्होंनें टेक्निकल एक्सपर्ट लगाए है.
उत्तर प्रदेश के आगरा में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जिले से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की तस्वीरों वाले लैपटॉप सप्लायर को वापस कर दिए हैं.क्योंकि लैपटॉप में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की तस्वीर लगी हुई है जो कि वो हट नही पा रहा है इसलिए सप्लायर को लैपटॉप वापस कर दिया गया है.
माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘लैपटॉप निर्माता और सप्लायर को लैपटॉप वापस करके उनसे डिफॉल्ट सेटिंग अपडेट करने को कहा गया है. उन्हें कहा गया है कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की जगह सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम अटल बिहारी की तस्वीर मेन स्क्रीन पर लगाएं.’ हालांकि, इस संबंध में कोई भी आधिकारिक निर्देश सरकार की तरफ से नहीं आए हैं.
ये लैपटॉप बीजेपी की सरकार आने के बाद से राजकीय इंटर कॉलेज के अंदर ताले में बंद थे. सूत्रों की मानें तो सिर्फ आगरा से ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी जिलों से लैपटॉप एकत्र किए गए हैं. अब इन लैपटॉप में अखिलेश और मुलायम की फोटो की जगह सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लगाई जाएगी.
हाल ही में प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से पूरे प्रदेश में रखे लैपटॉप की डीटेल मंगवाई थी. डीटेल आने के बाद एचपी सेल्स प्राइवेट लिमिटेड और सप्लायर को लैपटॉप वापस करने को कहा गया था.आगरा डीआईओएस रवींद्र कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार सभी लैपटॉप कंपनी को सौंप दिए गए हैं.
साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणापत्र लोक कल्याण संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार इंटर पास करने के बाद जो छात्र स्नातक में पंजीकरण कराएंगे उन्हें सरकार लैपटॉप देगी. लेकिन अभी तक योगी सरकार ने लैपटॉप नही बाटें है. सूत्रों के अनुसार अब योगी सरकार समाजवादी पार्टी की सरकार में दिये गये लैपटॉप को अपडेट करके उसे बांटने कि योजना बना रही है. विभाग की मानें तो पूरे प्रदेश में 8,958 लैपटॉप सप्लायर को वापस किए गए हैं. इन लैपटॉप का भुगतान समाजवादी पार्टी की सरकार में ही कर दिया गया था.