हिंदी सिनेमा के सबसे चहेते कलाकार, शानदार व्यक्त्वि के मालिक महानायक अमिताभ बच्चन का आज 75वां जन्मदिन है. अमिताभ बच्चन उन चंद अभिनेताओं में से एक हैं जिनकी दमदार एक्टिंग ने उनके आलोचकों को भी चौंकाया. उनके उत्साह और काम करने के लगन ने आज उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है जिसे पाने का मुकाम हर कोई संजोता है. अमिताभ बच्चन की संघर्ष की कहानी जिती आश्चर्यजनक है उतनी रोमांचक भी है. अमिताभ बच्चन कई दर्शकों से बॉलीवुड में राज कर रहे हैं. वे फिल्मों के साथ-साथ टीवी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं.
अमिताभ के फिल्मों और स्टार्स से जुड़े कई कहानी किस्से हैं. ऐसा ही एक किस्सा उनके संघर्ष के दिनों के मददगार महमूद का है. महमूद के बार में कहा जाता है कि वो सिनेमा इंडस्ट्री में स्ट्रगलर आर्टिस्ट की काफी मदद किया करते थे. हालांकि बाद में महमूद का स्टारडम गिरता गया और एक ऐसा भी दौर आया जब उनके पास काम ही नहीं था.
महमूद अमिताभ बच्चन को अपना बेटा मानते थे. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘वो कमाल का इंसान है. मैं उसकी आवाज और अभिनय का दीवाना हूं. वो मेरा इतना सम्मान करते थे कि पीछे से भी मेरी आवाज सुनने पर खड़े हो जाते थे. महमूद ने कहा था, ‘अमिताभ के दो बाप थे. एक जिसने पैदा किया और दूसरा मैं. मैंने अमिताभ को कमाना सिखाया.’
शुरुआती संघर्ष के बाद अमिताभ हिंदी सिनेमा के सुपर स्टार बने. उन्होंने नाम के साथ पैसा कमाया. महमूद ने एक इंटरव्यू में कहा था आखिर में उन्हें अमित के व्यवहार से काफी दुख पहुंचा. यह वाकया महमूद की ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान का है. महमूद ने बताया कि उनकी सर्जरी से हफ्ते-दस दिन पहले अमित के पिता, हरिवंश राय बच्चन गिर गए थे. इस वजह से उनकी तबियत खराब थी. अमित अपने पिता को लेकर ब्रीच कैंडी अस्पताल आए. इस दौरान वो ओपन हार्ट सर्जरी के लिए वहीं भर्ती थे. पर अमित मिलने नहीं आए.
महमूद ने कहा था, ‘अमित ने दिखा दिया कि पैसा कमाना सिखाने वाला बाप कौन है. जो पैदा किया वही असली बाप है.’ महमूद के मुताबिक, अमिताभ ने उन्हें आकर विश भी नहीं किया. एक गेट वेल सून का कार्ड भी नहीं भेजा. एक छोटा सा फूल भी नहीं भेजा. ये जानते हुए कि भाईजान भी इसी हॉस्पिटल में हैं. मेरे साथ तो कर लिया. मैं बाप ही हूं उसका. मैंने माफ़ भी कर दिया. मैंने कोई बद्दुआ नहीं दी. मैं आशा करता हूं वो अपने फादर के साथ ऐसा न करे.’ बता दें कि अमिताभ के संघर्ष के दिनों में महमूद ने उनकी हर तरह से मदद की. यहां तक कि वो महमूद के ही घर में रहते थे और बेटे की तरह उनके संसधानों का इस्तेमाल करते थे.