भारतीय रेलवे ट्रेनों के सेकेंड एसी से पर्दे हटा सकती है। रेलवे बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि ट्रेनों में मौजूद पर्दे महीने में एक बार धुलाई के लिए जाते है लेकिन रेल यात्री इन पर्दों को इतनी जल्दी गंदे कर देते हैं कि उन्हें निकालने की नौबत आ चुकी है।
उनका कहना है कि रेल यात्री इन पर्दों का इस्तेमाल हाथ पोछने, जूते पोछने के लिए काम में लेते हैं जिस वजह से ये जल्दी गंदे हो जाते है। रेलवे का कहना है कि लोगों की निजता को ध्यान में रखते हुए इन पर्दों को पट्टियों से बनी खिड़की से बदला जा सकता है। उनका कहना है कि इस मामले में दो प्रपोजल दिए गए है और महीने की आखिरी तक इस पर फैसला लिया जाएगा।
इससे पहले रेलवे ने 2014 में 3AC से पर्दे हटा दिए थे। जब बेंगलुरू-नांदेड़ में पर्दों में आग लगने से 26 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि ये पर्दे फायररिटार्डेंट मटेरियल से बने होते हैं लेकिन यात्री की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यह कदम उठाया था। यात्रियों की निजता को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने 2009 में 2AC और 3AC में पर्दे लगवाए थे।