लखनऊ, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 32 हजार से ज्यादा नौकरियां निरस्त कर दी है.बेसिक शिक्षा विभाग ने सपा कार्यकाल की एक और भर्ती को निरस्त कर दिया है.
सपा सरकार ने 19 सितंबर, 2016 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 32022 खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा के अंशाकालिक प्रशिक्षक एवं खेलकूद अनुदेशकों की भर्ती निकाली थी. इनकी नियुक्ति संविदा पर की जानी थी. लेकिन मार्च 2017 में सीएम योगी ने सभी भर्तियों पर समीक्षा के नाम पर रोक लगा दी. अब बेसिक शिक्षा विभाग ने इस भर्ती की समीक्षा के बाद उसे निरस्त करने का आदेश जारी किया है.
बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में बताया है कि आरटीई एक्ट के अनुसार जिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र नामांकन 100 से अधिक है, वहां अंशकालिक अनुदेशक रखने का प्रावधान है. लेकिन 2016 में जो भर्ती निकाली गई, वह 100 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों के लिए निकाली गई. इसमें अनुदेशकों को 7 हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 11 महीने का मानदेय देने की व्यवस्था रखी गई.
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉक्टर प्रभात कुमार ने बताया कि प्रदेश के 13769 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 से अधिक छात्र नामांकन है. लेकिन इनके लिए पहले से ही 30949 अंशकालिक अनुदेशक तैनात हैं. अपर मुख्य सचिव ने अपने आदेश में तर्क दिया है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास करने की है, जिसमें फर्नीचर, विद्युतीकरण, पेयजल, शौचालय, चारदिवारी की व्यवस्था प्राथमिकता पर की जानी है. इससे बच्चों के शिक्षा एवं सीखने की गुणवत्ता में वृद्धि होगी. इन अवस्थापना सुविधाओं के लिए बड़ी धनराशि की जरूरत है.
ऐसे में अगर अनुदेशकों की भर्ती की जाती है तो उससे न सिर्फ सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा बल्कि वह आरटीई एक्ट के मानकों से हटकर होगी. वित्तीय भार पड़ने से प्राथमिकता की बाकी योजनाएं प्रभावित होंगी. हालांकि शासन ने यह भी निर्णय लिया है कि प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या का फिर से निर्धारण कर लिया जाए और अगर जरूरत हुई तो आगे अनुदेशकों की नियुक्ति के संबंध में कार्रवाई की जाएगी.