वॉशिगंटन , एक नए अध्ययन में पता चला है कि सही वजन हजारों बच्चों को अस्थमा जैसी बीमारियों से बचा सकता है।जिन शिशुओं का वजन बचपन में तेजी से बढ़ता है वे बच्चे अस्थमा का शिकार हो जाते हैं।
अमेरिका के ड्यूक विश्विद्यालय ने अपने अध्ययन के लिए अमेरिका के पांच लाख से अधिक बच्चों के स्वास्य आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि करीब एक चौथाई बच्चों (23 से 27 प्रतिशत) में अस्थमा के लिए मोटापा जिम्मेदार है। पीडिएट्रिक्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक दो से 17 वर्ष के बीच के कम से कम 10 प्रतिशत बच्चों के वजन यदि नियंत्रित होते तो वे बीमारी की चपेट में आने से बच सकते हैं।
बचपन में मोटापे के शिकार बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।दरअसल शुरुआती 3 सालों में बच्चों के तमाम अंगों का विकास होता है। अगर बचपन में ही बच्चे मोटापे का शिकार हो जाते हैं, तो उनके फेफड़ों के विकास पर असर पड़ता है। ऐसे में 10 साल की उम्र से पहले ही बच्चों को अस्थमा जैसी बीमारियां घेर लेती हैं। फेफड़े के इन रोगों के कारण बच्चों में जल्दी थक जाने, सांस फूलना और आलस के लक्षण दिखाई देते हैं।
ड्यूक विविद्यालय के असोसिएट प्रोफेसर जेसन ई लांग कहते हैं,अस्थमा बच्चों में होने वाली क्रोनिक बीमारियों में अहम है और बचपन में वायरल संक्रमण तथा जीन संबंधी कुछ ऐसे कारण हैं जिन्हें होने से रोका नहीं जा सकता। वह कहते हैं कि बचपन में अस्थमा होने के पीछे मोटापा एकमात्र कारण हो सकता है जिसे रोका भी जा सकता है। इससे पता चलता है कि बच्चों को किसी प्रकार की गतिविधि में लगाए रखना और उनका उचित वजन होना जरूरी है।
शोध के परिणामों से इस बात की पुष्टि हो गई है कि शिशु के शुरुआती 3 वर्ष फेफड़ों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस शोध में 10 साल तक के 4,435 बच्चों को शामिल किया गया। शोध के दौरान इन सभी बच्चों के जन्म से 3 साल की उम्र तक वजन और लंबाई पर नजर रखी गई और पाया गया कि ज्यादा बीएमआई वाले बच्चों को 10 साल से पहले फेफड़े के रोग हो गए।
बच्चों में अस्थमा के निम्न लक्षण हो सकते हैं।
1-सांस लेने में कठिनाई होती है।
2-सीने में जकड़न जैसा महसूस होता है।
3-बच्चा जब साँस लेता है तब एक घरघराहट जैसा आवाज होती है।
4-साँस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है।
5-बेचैनी-जैसी महसूस होती है।
6-सिर भारी-भारी जैसा लगता है।
7-जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट महसूस होती है।
अगर आपका बच्चे लंबे समय से खांसी के परेशान है तो उसकी अस्थमा की जांच जरूर कराएं। हर बच्चे में लक्षण एकसमान नहीं होते है, लेकिन अस्थमा का सामना कर रहे बच्चों में हल्के से गंभीर लक्षणों के उतार चढ़ाव दिख सकते है। कुछ बच्चों को लंबे समय के अंतराल के बाद अस्थना के लक्षण दिख सकते है और अस्थमा का अटैक आ सकता है।