हास्टल व पेईंग गेस्ट पर रह रहीं महिला सुरक्षा हेतु, हाईकोर्ट ने दिये विशेष निर्देश
April 12, 2019
नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि निजी छात्रावासों और पेइंग गेस्ट आवासों जैसे उन स्थानों पर पुलिस को निगरानी करनी होगी जहां बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर महिलाएं या लड़कियां रहती हैं ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति ए. जे. भम्भानी की एक पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस का कर्तव्य है कि वह अपने क्षेत्रों पर नजर रखें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाओं या लड़कियों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सके जैसा रोहिणी के एक आश्रम में कथित तौर पर किया गया था।
अदालत ने पुलिस से पूछा कि जब यह पता चला कि रोहिणी के आश्रम में अनेक लड़कियां और महिलाएं रह रही हैं तो उन्होंने क्या कदम उठाए। अदालत ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस का यह पता लगाने का दायित्व है कि उनके क्षेत्र में क्या गतिविधियां चल रही हैं। जब इतनी सारी लड़कियां एक ही इमारत में रह रही थीं, तब निगरानी होनी चाहिए थी।’’आश्रम की ओर से पेश वकील ने कहा कि इमारत परिसर में कोई छात्रावास या पेइंग गेस्ट (पीजी) आवास नहीं चल रहा था। परिसर में रहने वाले लोगों को केवल आध्यात्मिक शिक्षा दी जा रही थी।
अदालत राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी में वीरेन्द्र देव दीक्षित द्वारा संचालित ‘आध्यात्मिक विद्यालय’ में लड़कियों और महिलाओं को कथित रूप से कैद किये जाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।उच्च न्यायालय में मामला पहुंचने के बाद से ही दीक्षित फरार है। सीबीआई ने उसकी गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि रोहिणी के ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ में लड़कियों और महिलाओं को अवैध रूप से कैद करके रखा गया था।