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 प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच करने वाले, आईएएस अफसर की कहानी

नई दिल्‍ली,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच करने के मामले में कार्रवाई झेल रहे आईएएस अफसर मोहम्मद मोहसिन अब कोर्ट जाएंगे. गुरुवार को ही उनके निलंबर पर CAT ने रोक लगा दी थी लेकिन उनके खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी.

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मोहसिन 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह पर्यवेक्षक के तौर पर ओडिशा में तैनात थे. ओडिशा के संबलपुर में प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की जांच करने को लेकर उन्हें 17 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया था. बताया गया कि उन्होने एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों से पेश आने के नियमों का ‘उल्लंघन’ किया है.

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मोहम्‍मद मोहसिन का कहना है कि घटना के समय वो वहां मौजूद नहीं थे बल्कि जूनियर अफसरों को दिशानिर्देश देकर चले गए थे. उन्‍होंने कहा, ‘मैंने चुनाव आयोग  के दिशानिर्देशों का उल्‍लंघन नहीं किया, बल्कि उसी के अनुसार कार्रवाई की. मुझे बेवजह सजा दी गई और आयोग ने हड़बड़ी में मुझे निलंबित कर दिया. मुझे कोई रिपोर्ट नहीं मिली.’

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उधर चुनाव आयोग का कहना है कि मोहम्‍मद मोहसिन ने नियमों से परे जाकर प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर चेक किया. चुनाव आयोग ने मोहम्मद मोहसिन पर अगले आदेश तक चुनावी ड्यूटी करने पर रोक लगा दी. इसके साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी सिफारिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक आईएएस के द्वारा पीएम के हेलिकॉप्टर की जांच करने के कारण प्रधानमंत्री 15 मिनट लेट हो गए थे।

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मोहसिन के निलंबन पर केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को रोक लगाई है। लेकिन चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। एक चैनल से बातचीत में कहा, मैं अपना काम कर रहा था, लेकिन मुझे निलंबित कर दिया गया। इस संबंध में मुझे एक भी रिपोर्ट नहीं मिली। मैं अंधेरे में अपने लिए लड़ाई लड़ रहा हूं।

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विपक्षी दलों का कहना था कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जो चुनाव के दौरान ऐसी किसी जांच के नहीं होने की बात कहता हो। भारत निर्वाचन आयोग सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में सामान्य पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सके। पारदर्शिता और स्थानीय प्रशासन से दूरी सुनिश्चित करने के लिए ये हमेशा राज्य के बाहर के अधिकारी होते हैं।

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