दादरी में बीफ खाने की अफवाह पर अखलाक की हत्या को राष्ट्रीय अल्प संख्यक आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में सोची समझी साजिश बताया है। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नदीम अहमद के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने दादरी जाकर हालत का जायजा लिया था। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दादरी में भीड़ को हमले के लिए उकसाया गया था। इसके लिए अराजक तत्वों ने मंदिर का सहारा लिया। आयोग के अनुसार, टीम ने ऐसा महसूस किया कि मंदिर से घोषणा होने के बाद मिनटों में भीड़ जुटना, वह भी उस समय जब ज्यादातर गांव वाले सो रहे थे, इससे लगता है कि यह पूर्व नियोजित साजिश थी। आयोग की टीम ने इस बात को मजबूती से प्वाइंट किया है कि पूरी घटना में एक मंदिर जैसे पवित्र स्थान का प्रयोग करते हुए एक कम्युनिटी को एक असहाय परिवार पर अटैक करने के लिए उकसाया गया।
िरपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और कुछ बीजेपी नेताओं के बयान मामले पर पर्दा डालने जैसा था। ऐसे बयान आगे चलकर अलग-अलग समुदायों के संबंधों को ‘दूषित’ करते हैं। इसे हर कीमत पर रोकना चाहिए नहीं तो चीजें हाथ से निकल जाएंगी।
घटना के बाद गांव बिसाहड़ा पहुंची राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की टीम ने डीएम एनपी सिंह, एसडीएम राजेश यादव, सर्किल ऑफिसर अनुराग सिंह के बयान लिए। इसके अलावा मृतक अखलाक के परिजनों से भी बातचीत की। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराने वाले वकील शहजाद पूनावाला ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पहली नजर में घटना कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित साजिश थी। आयोग का यह भी मानना है कि घटना के बाद नेताओं की बयानबाजी और गांव में किए गए दौरों ने इस घटना में और तनाव पैदा किया है।