ग्लोबल वार्मिंग पर विकसित देशों को, प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया आईना
September 28, 2019
संयुक्त राष्ट्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान के लिए विकसित देशों को कठघरे में खड़ा करते हुए आज संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है, लेकिन इसके समाधान के लिए काम करने में वह अग्रणी है।
श्री मोदी ने शुक्रवार को महासभा के 74 वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा “अगर इतिहास और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के नजरिये से देखें तो ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान बहुत ही कम रहा है। लेकिन इसके समाधान के लिए कदम उठाने वालों में भारत एक अग्रणी देश रहा है।”उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 450 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा है। उसने अंतर्राष्ट्रीय सौर एलायंस के गठन की पहल की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राकृतिक आपादाएँ अब पहले की तुलना में जल्दी-जल्दी आ रही हैं और उनकी भयावहता भी पहले से ज्यादा हो गयी है। नयी-नयी तरह की प्राकृतिक आपदाएँ भी सामने आ रही हैं। इन आपदाओं से नुकसान कम से कम हो इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें जो इन आपदाओं में भी सुरक्षित रह सकें। उन्होंने ‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ से जुड़ने के लिए दुनिया के देशों का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर आज मैंने पढ़ा-“नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक”। मुझे सभा को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, उस वक्त हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं। ” भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा ,“भारत हजारों वर्ष पुरानी एक महान संस्कृति है जिसकी जीवंत परंपरायें हैं और जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है। हमारे संस्कार , हमारी संस्कृति , जीव में शिव देखती है। ”