इशरत जहां की मां का सीबीआई को पत्र, अदालती कार्यवाही से निराश होकर लिया ये बड़ा फैसला
October 2, 2019
अहमदाबाद, गुजरात के अहमदाबाद में जून 2004 में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारी गयी मुंबई की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां की मां शमीमा
कौसर ने सीबीआई को एक पत्र लिख कर कहा है कि वह इस मामले की लंबी सुनवाई से हताश और असहाय महसूस कर रहीं है और आगे से
इस मामले में अदालत में पेश नहीं होंगी।
श्रीमती कौसर ने पत्र में लिखा है कि अदालत से सभी आरोपी जमानत पर छूट चुके हैं और इनमें से कुछ को तो गुजरात सरकार ने वापस
नौकरी तक पर रख लिया था। 15 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब वह हताश और असहाय महसूस कर रही हैं। अब वह अदालत में
पेश नहीं होंगी और उनके पत्र को ही अदालत के रिकार्ड में शामिल कर लिया जाये।
शमीमा कौसर ने सीबीआई से कहा है कि उनकी यह चिट्ठी अहमदाबाद कोर्ट में रेकॉर्ड के तौर पर पेश की जाए.
विशेष सीबीआई अदालत के जज आर के चुडावाला पुलिस महानिरीक्षक जी एल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट, पूर्व डीवाईएसपी जी जी
परमार, सहायक उप-निरीक्षक अनाजू चौधरी और चार आरोपी पुलिसकर्मियों की ओर से आरोप मुक्ति के लिए दायर याचिकाओं की सुनवाई
कर रहे हैं।
कौसर ने कहा है कि वे कोर्ट की कार्यवाही से दूरी बना रही हैं और सीबीआई से आरोपियों की दोषसिद्धि तय करने का आग्रह करती हैं। उन्होंने
चिट्ठी में लिखा, ‘न्याय की इतनी लंबी लड़ाई के बाद मैं आशाहीन और बेबस महसूस करती हूं। 15 साल से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस
अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं. मेरी बेटी की हत्या के मुकदमे का सामना करने के बावजूद कुछ को तो गुजरात सरकार ने
बहाल कर दिया।’
गुजरात पुलिस के 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई,
अमजद अली अकबरअली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे।
पुलिस ने दावा किया था कि इनके लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों से संपर्क थे।
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