झांसी, उत्तर प्रदेश के झांसी पुलिस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले पार्टी के कद्दावर नेता एवं पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया।
इस घटनाक्रम से राज्य में सियासी पारा उबलने लगा है। पूर्व विधायक को गिरफ्तार कर यहां नवाबाद थाने लाया गया। उनके समर्थकों को जैसे ही यह सूचना मिली नवाबाद थाने में समर्थकों का बड़ी संख्या में जमावड़ा हो गया, जिन्हें हटाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सपा नेता ने इसे उनके खिलाफ शासन के इशारे पर प्रशासन द्वारा की गयी कार्रवाई बताया और कहा कि उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
दूसरी ओर पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी) झांसी परिक्षेत्र जोगिंदर कुमार ने बताया कि 16 सितंबर को कचहरी झांसी में कन्नौज जेल से पुलिस अभिरक्षा में एक दुर्दांत और सजायाफ्ता अपराधी लेखराज यादव को लाया गया था। उसके खिलाफ विभिन्न थानों में 47 मुकदमें दर्ज हैं और इसी को लेकर उसकी यहां पेशी थी। यहां कचहरी परिसर में लगभग 60 से 70 लोगों ने उसे घेर लिया और पुलिस की हिरासत से छुड़ाने का प्रयास किया। वापस जाते समय एक गाड़ी में बैठे लोगों ने पुलिस की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया और पुलिसकर्मियों को डराया धमकाया गया। इस सजायाफ्ता मुजरिम को छुड़ाने की काफी कोशिश की गयी। मुजरिम को ले जा रही कन्नौज पुलिस ने पहले थाना मोंठ जनपद झांसी में और इसके बाद थाना एट जनपद जालौन में बंदी वाहन को रोककर बड़ी हाेशियारी और निडरता के साथ काम करते हुए अपराधी की सुरक्षा सुनिश्चित की और उसे भागने से रोका। इस मामले में अब तक झांसी पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और इनका लंबा आपराधिक इतिहास है।
उन्होंने कहा कि इस घटना में शामिल अपराधियों के खिलाफ हर संभव कार्रवाई की जायेगी और इसी क्रम में सपा नेता यादव को गिरफ्तार किया गया है। इनका भी लंबा आपराधिक इतिहास रहा है और इन पर भी विभिन्न थानों में 40 से अधिक मामले दर्ज हैं। इस घटना में इस्तेमाल की गयी गाड़ी भी पकड़ ली गयी है। यह गाड़ी अनिल यादव की है जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। यह सपा नेता का रिश्तेदार है जिसने पुलिस के बंदी वाहन को तमाम तरह से रोक कर लेखराज को भगाने का पूरा प्रयास किया था। सर्विलांस के माध्यम से पता चला था कि श्री यादव की इस घटना को अंजाम देने वालों के साथ बात हुई थी। इसके अलावा पुलिस के पास कई चश्मदीद और सीसीटीवी फुटेज भी साक्ष्य के रूप में उपलब्ध हैं।