विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद् की बैठक में यह फैसला किया गया। छात्रों के आंदोलन के मद्देनजर आखिरी क्षणों में इसके आयोजन स्थल में बदलाव किया गया और इसे परिसर के बाहर आयोजित किया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू कार्यकारिणी परिषद् छात्रावास शुल्क और अन्य नियमों को बहुत हद तक वापस लेने का फैसला करता है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों के लिये आर्थिक सहायता की एक योजना का भी प्रस्ताव किया गया है। कक्षाओं में लौटने का वक्त आ गया है।’’
परिषद् जेएनयू की फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
सूत्रों के मुताबिक अकेले रहने वाले कमरे का किराया, जिसे 20 रुपये से बढ़ा कर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया था, वह अब 200 रुपये होगा। इसी तरह, दो छात्रों के रहने वाले कमरे का किराया जिसे 10 रुपये से बढ़ा कर 300 रुपये प्रति माह किया गया था, वह अब 100 रुपये होगा।’’
इससे पहले, बुधवार को विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्रावास शुल्क में वृद्धि वापस लेने की अपनी मांग को लेकर विरोध- प्रदर्शन तेज कर दिया।
वाम दल समर्थित छात्र संगठनों के विद्यार्थी छात्रावास शुल्क में वृद्धि के खिलाफ करीब पखवाड़े भर से प्रदर्शन कर रहे हैं।
छात्र संगठनों का दावा है कि छात्रावास नियमावली मसौदा में छात्रावास शुल्क वृद्धि और ड्रेस कोड आदि के प्रावधान हैं, जिसे इंटर-हॉल प्रशासन ने मंजूरी दी थी।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने बुधवार को प्रशासन खंड के बाहर जेएनयू प्रशासन और कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की।
उल्लेखनीय है कि छात्रों ने सोमवार को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) के बाहर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन तेज होने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ उसके अंदर करीब छह घंटे तक फंस गये और उन्हें दो कार्यक्रम रद्दे करने को मजबूर होना पड़ा था।