लखनऊ, आखिर ऐसा क्या पूछ लिया पत्रकार ने कि उपमुख्यमंत्री को इंटरव्यू बीच में ही छोड़कर भागना पड़ा। उन्होने पत्रकार से दुर्व्यवहार भी किया जिसकी शिकायत भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को भेजी है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रतिष्ठित मीडिया ग्रुप बीबीसी हिंदी को एक इंटरव्यू दे रहे थे। उप-मुख्यमंत्री का साक्षात्कार बीबीसी रिपोर्टर अनंत झणाणे ले रहे थे। सूत्रों के अनुसार, बीबीसी रिपोर्टर अनंत झणाणे के करीब 10 मिनट तक कुछ सवालों का जवाब देने के बाद जब उन्होने उप-मुख्यमंत्री से धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ दिए गए भाषणों पर सवाल पूछे तो वे भड़क गए और रिपोर्टर से कहा कि वे केवल चुनाव संबंधी सवाल पूछें इंटरव्यू बीच में रोक दिया। बीबीसी रिपोर्टर ने कहा कि ये सभी विषय चुनाव के दौरान ही हो रहें हैं, चुनाव से ही जुड़े हुए हैं तो उप-मुख्यमंत्री भड़क गए और रिपोर्टर पर आरोप लगाते हुए उन्हें कहा, ‘आप पत्रकार की तरह नहीं, बल्कि किसी के एजेंट की तरह बात कर रहे हैं।’ पूरे इंटरव्यू में वह पत्रकार को बताते नजर आतें हैं कि उसे किस तरह इंटरव्यू लेना चाहिये।
इंटरव्यू के दौरान जब मौर्य से धर्म संसद के संबंध में सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुप्पी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, ‘भाजपा को प्रमाण-पत्र देने की आवश्यकता नहीं है। हम सबका साथ सबका विकास करने में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘धर्माचार्यों को अपनी बात अपने मंच से कहने का अधिकार होता है। आप हिंदू धर्माचार्यों की ही बात क्यों करते हो? बाकी धर्माचार्यों ने क्या-क्या बयान दिए गए हैं। उनकी बात क्यों नहीं करते हो। जम्मू कश्मीर से 370 हटने के पहले वहां से कितने लोगों को पलायन करना पड़ा, इसकी बात क्यों नहीं करते हो? उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘आप जब सवाल उठाओ तो फिर सवाल सिर्फ एक तरफ के नहीं होने चाहिए, धर्म संसद भाजपा की नहीं है, वो संतों की होती है। संत अपनी बैठक में क्या कहते हैं, क्या नहीं कहते हैं, यह उनका विषय है।’
इसके बाद रिपोर्टर ने धर्म संसद में नफरती बयान देने वाले यति नरसिंहानंद और अन्नपूर्णा समेत यूपी से जुड़े अन्य धर्मगुरुओं के नाम गिनाकर उनके द्वारा बिगाड़े जा रहे माहौल के संबंध में पूछा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, तो रिपोर्टर को अपनी बात खत्म होने से पहले ही बीच में टोकते हुए मौर्य ने कहा, ‘कोई माहौल बनाने की कोशिश नहीं करते हैं, जो सही बात होती है, जो उचित बात होती है, जो उनके प्लेटफॉर्म में उनको उचित लगती है, वो कहते होंगे।’
उप-मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘आप ऐसे सवाल लेकर आ रहे हैं, जो राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए नहीं हैं। उन चीजों को मैंने देखा भी नहीं है जिस विषय की आप मुझसे चर्चा कर रहे हैं, लेकिन जब धर्माचार्यों की बात करो, तो धर्माचार्य केवल हिंदू धर्माचार्य नहीं होते हैं, मुस्लिम धर्माचार्य भी होते हैं, ईसाई धर्माचार्य भी होते हैं. और कौन-कौन क्या बातें कर रहा है, उन बातों को एकत्र करके सवाल करिए। मैं हर सवाल का जवाब दूंगा. आप विषय पहले बताते तो मैं तैयारी करके आपको जवाब देता।’
जब उन्हें रिपोर्टर याद दिलाता है कि कैसे भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद लोगों पर राजद्रोह लगाया गया था लेकिन धर्म संसद पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राजद्रोह अलग विषय है। इसे लोगों के मौलिक अधिकार से मत जोड़िए, अगर भारत में कोई पाकिस्तान जिंदाबाद कहेगा तो नहीं सहा जाएगा। वह निश्चित ही देशद्रोही की श्रेणी में आएगा, उस पर जरूर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जो धर्म संसद होती है, वो सभी संप्रदाय की होती है। अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को क्या अधिकार है कि वह कहे कि हमें सूर्य नमस्कार स्वीकार नहीं।’
इस पर रिपोर्टर ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘वहां नरसंहार की कोई बात नहीं होती।’ इस पर उपमुख्यमंत्री बोले, ‘कोई नरसंहार की बात नहीं हुई है।’ लेकिन रिपोर्टर ने जब वीडियोज का हवाला दिया तो उपमुख्यमंत्री ने साफ कहा कि वे नहीं जानते किसी वीडियो के बारे में और रिपोर्टर से पूछा, ‘आप सवाल चुनाव को लेकर आए हैं या दूसरे विषय को।’ जब रिपोर्टर ने कहा, ‘मैं चुनाव की ही बात कर रहा हूं।’ जिस पर उप मुख्यमंत्री ने बीबीसी रिपोर्टर को सीधे ‘किसी का एजेंट’ करार दे दिया और आगे बात करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने अपनी जैकेट पर लगा माइक हटा दिया और कैमरा बंद करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने बीबीसी रिपोर्टर का मास्क तक खींच लिया और अपने सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर जबरन वीडियो डिलीट करा दिया। ये घटनाक्रम कैमरा बंद होने के बाद हुआ है, जिससे उसका फुटेज बीबीसी के पास उपलब्ध नहीं है। बस वीडियो में उपमुख्यमंत्री माइक हटाते देखे जा सकते हैं।