मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा.विशेष गुप्ता ने कानपुर की घटना के बाद प्रदेश के सभी बालिका गृहों में स्थानीय प्रशासन को व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के आदेश दिए गए है।
उन्होने कहा कि कहा कि कानपुर राजकीय संरक्षण गृह में सभी संवासिनियों का रिकॉर्ड बालिका गृह के पास मौजूद है। बालिका गृह में लाए जाते समय गर्भवती होने की जानकारी संस्थान को पहले से ही थी। बाल संरक्षण आयोग की एक टीम कल कानपुर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेगी और सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी।
उन्होने कहा कि पास्को एक्ट में मामले दर्ज हैं ऐसे में नाबालिग लड़कियों के बारे मे पहचान उजागर करना पाक्सो एक्ट का उल्लंघन है। संवेदनशील मामलों में राजनीति करना सरासर गलत है। बालिका गृह में 100 की क्षमता के मुकाबले 173 लड़कियों को रखा गया है। लिहाजा अब ऐसी लड़कियां जो अपने घर जाना चाहती है, उन्हें घर भेजने की योजना बनाई गई है। नाबालिग यौन उत्पीड़न की शिकार लड़कियों के सहारे विपक्ष संवेदनहीनता का परिचय दे रहा है। इस मामले में जल्द ही सरकार को सभी तथ्यों से अवगत कराया जाएगा। यौन उत्पीड़न की शिकार लड़कियों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी कानूनी दायरे में आती हैं और इसका अध्ययन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियों (संवासिनियों) में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही संरक्षण गृह में रह रही सात नाबालिग लड़कियां गर्भवती मिली हैं, जिनमें से पांच कोरोना पॉजिटिव पायी गयी हैं। सभी संक्रमित बालिकाओं को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अलग अलग कई जिलों से लड़कियां कानपुर राजकीय बालिका संरक्षण गृह में जाती हैं। कानपुर बालिका संरक्षण गृह में 100 बलिकाओं को रखने की ही जगह है, लेकिन वहां पर 173 लड़कियां रह रही थीं। इनमें से सात लड़कियां गर्भवती पाई गई हैं, जिसमें से दो की जांच चल रही थी। 57 लड़कियां कोरोना संक्रमित हैं। सभी लड़कियों का पूरा रिकॉर्ड बालिका गृह के पास मौजूद है और जिस समय इन्हें बालिका गृह में लाया गया था, उस वक्त इनके गर्भवती होने की जानकारी थी। पॉस्को एक्ट के मामलों में ट्रायल जारी है और यौन उत्पीड़न के मुकदमे इन लड़कियों ने स्थानीय थानों में दर्ज कराये हैं।