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देश 1964 की स्थिति मे पहुंच गया है -अखिलेश यादव

लखनऊ ,  समाजवादी पार्टी  अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी  सरकार की कुनीतियों के नतीजे बदहाल अर्थव्यवस्था के तौर पर सामने आने लगे है।

अखिलेश यादव ने  कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट के दौर से गुजर रही है।

भाजपा सरकार की कुनीतियों के नतीजे अब सामने आने लगे हैं।

नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापार जगत में भारी तबाही मचाई है।

इससे एक तो छोटे और घरेलू उद्योग तो बंद हो ही रहे थे, अब तो देश का आटो मोबाइल सेक्टर भी दम तोड़ने लगा है।

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देश का विदेशी मुद्रा भण्डार 26 जुलाई 2019 को समाप्त सप्ताह में 72.7 करोड़ डालर घटकर 429.65 अरब डालर रह गया है।

रूपए के कमजोर होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था फिसलकर सातवें स्थान पर आ गई है।

वर्ष 1964 में भी भारत इसी स्थान पर था।

उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को 2024-25 तक पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का बड़ा वादा किया है लेकिन आर्थिक संकेत इस बात के हैं कि उनका यह दावा उनके और दावों की तरह थोथा वादा ही साबित होगा।

अपनी पहली सरकार में उन्होंने दो करोड़ नौकरियां देने, किसानों की आय दुगनी करने, मंहगाई कम करने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के वादे किए थे।

2014 से 2019 तक स्वच्छ भारत, बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ, स्टार्ट अप और स्टैण्ड अप इण्डिया जैसे प्रोग्राम दिए थे जो सब नाकाम रहे।

प्रतिव्यक्ति आय के मामले में सन् 2018 में 187 देशों में भारत का नम्बर 142 था।

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सपा अध्यक्ष ने श्रम ब्यूरो के रोजगार सर्वेक्षण का हवाला देते हुये कहा कि पिछले छह वर्षों में लगभग 3.7 करोड़ कामगारों ने कृषि कार्य से तौबा कर ली है।

कृषि कार्यों में लोगों की असुरक्षा बढ़ी है।

पांच वर्ष में 60 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। किसानों पर कुल 72 हजार करोड़ रूपए का कर्ज आंका गया है जबकि कारपोरेट घरानों पर बैंकों का पांच लाख करोड़ का भारत के उद्योगपतियों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है।

ऐसी स्थिति में उद्योग जगत में उत्पादन बढ़ने की आशा कैसे की जा सकती है। यह संकेत है कि गरीब, किसान, खेती-गांव भाजपा सरकार की प्राथमिकता में कितने नीचे हैं।

उन्होने कहा कि भाजपा सरकार के नए भारत का सच यह भी है कि 2018 में एक करोड़ दस लाख नौकरियां चली गईं।

इस वर्ष अब तक रेलवे क्षेत्र में तीन लाख छंटनी हो चुकी हैं।

आटो मोबाइल क्षेत्र की दुर्दशा चिंताजनक है।

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जीएसटी के कारण वाहनों के 286 शोरूम इस वर्ष अप्रैल तक 18 माह की अवधि में बंद हो चुके हैं और दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी हो चुकी है।

इससे पूर्व 32 हजार कर्मचारी पहले ही घर बैठा दिए गए।

यहां तक की स्टील सेक्टर में भी उत्पादन में गिरावट आई है।

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