लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने बयान में कहा है कि आज के दिन ही भारत में गणतंत्र को संवैधानिक स्वरूप एवं मान्यता मिली थी। भारत के संविधान की प्रस्तावना का निर्माण भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए किया गया।
अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को आजादी बड़े संघर्षों के बाद मिली है। हजारों लोगों ने इसके लिए कुर्बानियां दी हैं। समाजवादी स्वतंत्रता संग्राम और भारत की स्वाधीनता के बाद दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, छात्रों-नौजवानों को अधिकार दिलाने के लिए निरन्तर आवाज बुलंद करते रहे। भारत के संविधान के अनुसार देश का हर व्यक्ति गरिमा और सम्मान से जीवन व्यतीत करने का अधिकार प्राप्त है।
भारतीय गणतंत्र की पिछले 69 सालों की विकासयात्रा में दुनिया कई देशों से भारत की तुलना करने में हम आज भी पीछे हैं। किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उनको खुशहाल बनाने का काम नहीं हुआ। नौजवान बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। गरीब-अमीर की खाई लगातार बढ़ती जा रही है।
भारत का संविधान किसी भी वर्ग के खिलाफ-विशेषाधिकार या भेदभाव को समाप्त करने का निर्देश देता है। इसकी प्रस्तावना व्यक्ति और राष्ट्र की एकता और अखण्डता की गरिमा को बनाए रखने के लिए भाईचारे पर बल देती है। संविधान नागरिकों को राजनीतिक भागीदारी में बराबरी का अधिकार देता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक वोट के लिए सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और मतों का समान मूल्य प्रदान करता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि आज के केन्द्र की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार द्वारा गरीबों पर कहर ढाया जा रहा है। छोटे उद्योगधंधे बंद हो रहे हैं। बड़े पूंजीघरानों के कर्ज माफ किए जा रहे हैं। जनता का जमा धन कर्ज में लेकर तमाम उद्योगपति विदेश पलायन कर गए हैं। कालाधन वापस आया नहीं, अपने देश का धन भी बाहर चला गया। मंहगाई रूकने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी योजनाओं का असर विज्ञापनों में ही दिख रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के कारनामों से किसान, नौजवान त्रस्त हैं। किसान कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे है। युवा पीढ़ी बेरोजगारी से कराह उठी है। महिलाएं एवं बच्चियां आए दिन दुष्कर्म की शिकार हो रही हैं। अपराधी बेखौफ हैं। कानूनव्यवस्था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है। भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल है। इससे आर्थिक विषमता और सामाजिक गैरबराबरी की खाई चैड़ी होती जाती है। लोगों में भारी आक्रोश है। सब भाजपा की विदाई चाहते है।
भारत के संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता की गारंटी है। पंथनिरपेक्षता और समाजवाद के लिए प्रतिबद्धता है। भाजपा सरकार ने संविधान की मूल आत्मा पर ही आघात करने का काम किया है। उसे समाजवाद से चिढ़ है और उसकी नीयत समाज को बांटने तथा नफरत का जहर फैलाने की है। सत्ता के लिए एकाधिकारी प्रवृत्ति के साथ भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम किया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना के साथ लोगों को संविधान प्रदत्त अधिकारों से वंचित करने की ठान ली है। व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण और अवमूल्यन किया जा रहा है। भाजपा के रहते भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्य सुरक्षित नहीं रह सकते हैं।