छात्र उत्पीड़न पर नाराज अखिलेश यादव बोले- कुलपति पर गंभीर आरोप, पर नही हुई कार्यवाही
September 26, 2018
लखनऊ, राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्रों के प्रति अन्यायपूर्ण और द्वेषपूर्ण व्यवहार से नाराज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी है। उन्होने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पर गंभीर आरोप के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
अखिलेश यादव ने कहा कि पूरब का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पर गंभीर आरोप के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। विश्वविद्यालय में नियुक्ति में भष्टाचार सहित महिलाओं से अर्मादित आचरण पर अंकुश न लगना दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार वास्तव में शिक्षण संस्थानों का प्रयोग अपने राजनैतिक हित साधने के लिए कर रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश के छात्र-नौजवान भाजपा सरकार की कुनीतियों से त्रस्त होकर सबक सिखाने को तैयार बैठे हैं। लोकतंत्र में नौजवानों का उत्पीड़न करने वाली सरकार का पतन सुनिश्चित है।
उन्होने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति छात्रों के प्रति अन्यायपूर्ण और द्वेषपूर्ण व्यवहार कर रहे है। शासन और प्रशासन भी छात्रों का उत्पीड़न करने में संलिप्त है। अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में छात्रों-नौजवानों की कोई सुध नहीं ली गयी। विश्वविद्यालयों में जहां एक और शैक्षणिक गतिविधियां ठप पड़ गयी है वहीं दूसरी ओर बेरोजगार नौजवानों को नौकरी की दिशा में भी शासन की मंशा ठीक नहीं है।
अखिलेश यादव ने कहा कि छात्रों-नौजवानों के बढ़ते आक्रोश के कारण भाजपा सरकार अलोकप्रिय हो गयी है। भाजपा को अपनी हार का डर सता रहा है। इसीलिए गोरखपुर विश्वविद्यालय और बस्ती के महाविद्यालयों के छात्रसंघ चुनाव बिना किसी ठोस कारण स्थगित कर दिये गये।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि बीएचयू में छात्रों से हास्टल जबरन खाली कराये जा रहे हैं और उनके साथ बर्बर व्यवहार किया जा रहा है। भाजपा सरकार छात्रों-नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में मेरिट लिस्ट में नाम होने के बाद भी छात्रों को प्रवेश से वंचित रखा जा रहा है। प्रवेश की मांग को लेकर अहिंसा पूर्वक तरीके से धरना देने पर छात्रों पर गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज कर जेल भेज दिया गया, जिनकी अब तक रिहाई नहीं हुयी। शासन का यह कृत्य असंवैधानिक है। यह सरकार छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है।