अखिलेश यादव ने पीड़ित किसानो को 25-25 लाख का मुआवजा देने की मांग की
April 18, 2020
लखनऊ , उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बेमौसम बारिश से पीड़ित किसानो को 25-25 लाख रूपये का मुआवजा देने की मांग की है।
श्री यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण अन्नदाता बदहाल है। भाजपा कभी भी किसानों की हितैषी नहीं रही। भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद सैकड़ों किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके है। इधर लाॅकडाउन में भी किसानों की आत्महत्यायें रूक नहीं रही है।
उन्होने कहा कि दो माह पूर्व हुई अतिवृष्टि एवं ओलावृष्टि से किसान उबर भी नहीं पाये कि आज रात में फिर से बे-मौसम बारिश एवं ओलावृष्टि ने किसानों की कमर ही तोड़ दी है। इसमें मुजफ्फरनगर, भदोही, सोनभद्र, रायबरेली, बहराइच, जौनपुर, वाराणसी, अयोध्या, कानपुर, बुलन्दशहर, फतेहपुर, बिजनौर एवं लखीमपुर में अतिवृष्टि ने गेहूं की फसल चौपट कर दी तथा आम के वृक्षों के बौर भी झड़ गये। बिजली गिरने से लगभग 12 किसानों की मौत भी हुई है उनके आश्रितों को 25-25 लाख रूपये प्रत्येक को आर्थिक सहायता तत्काल राज्य सरकार दे।
श्री यादव ने कहा कि दो माह पहले हुए नुकसान का भी पर्याप्त मुआवजा किसानों को नहीं दिया गया है। अतः इधर जो फसलों का नुकसान हुआ है और इसके पहले जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई करने के लिये सरकार को फसलों के नुकसान का पर्याप्त मुआवजा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
अधिकांश किसान पशुपालन भी करते हैं। लाॅकडाउन के कारण पूरे प्रदेश में दूध की मांग में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है। इससे दूध के कारोबारियों, पशुपालकों और किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है। उनके लिए भी राहत पैकेज घोषित होना चाहिए। किसानों को फसल बीमा, सम्मानराशि आदि तमाम घोषणाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों ने आय दुगुनी होने की उम्मीद तो भाजपा सरकार में छोड़ ही दी है। उसकी बची-खुची पूंजी भी लुट जाने से वह अब अन्नदाता के बजाय स्वयं अन्न के लिए तरसने वाला बन जाएगा। किसान को समर्थन मूल्य मिलने और लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिलने की ऐसे में कैसे आशा की जा सकती है।
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने किसान की चिंता छोड़कर कारपोरेट घरानों को मदद देने का एलान कर दिया है। आरबीआई उद्योगपतियों को राहत देने में लगी है जबकि किसान बैंकों से सस्ते ब्याज पर कर्ज नहीं पा रहा है। गन्ना किसान का बकाया भुगतान भी नहीं हुआ, उल्टे कई जगहों पर तो उसे कर्ज वसूली की नोटिसें दी जा रही है।