अमित शाह की चुनौती पर अखिलेश यादव एक्शन मे, कहा- जगह और मंच बतायें
January 22, 2020
लखनऊ , समाजवादी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परोक्ष रूप से केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुये कहा कि बहुमत से जनता की आवाज नहीं दबाई जा सकती है। डंके की चोट पर बहस की चुनौती देने वाले को जवाब है कि वह बहस के लिए तैयार हैं। जगह और मंच का चुनाव उनकी पसंद का हो।
समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता जनेश्वर मिश्र को उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धाजंलि देने के बाद श्री यादव ने पत्रकारों से कहा , बड़े पदों पर बैठे लोगों की भाषा भी उसी स्तर की होनी चाहिए। भाजपा नेता ठोक देंगे, जबान खींच लेंगे, बदला लेंगे डंके की चोट पर जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह धरती मर्यादा पुरूषोत्तम राम और भगवान श्रीकृष्ण की है। मर्यादा का उल्लंघन करने वाली भाषा राजनीति की भाषा नहीं हो सकती है।
उन्होने तल्ख लहजे में कहा कि बहुमत से जनता की आवाज नहीं दबाई जा सकती है। डंके की चोट पर बहस की चुनौती देने वाले को जवाब है कि वह बहस के लिए तैयार हैं। जगह और मंच का चुनाव उनकी पसंद का हो। बहस विकास पर होगी, जब और जहां चाहें बहस कर लें। भाजपा विकास पर बहस से भागती है। वह नोटबंदी, मंदी, अर्थव्यवस्था पर बहस नहीं करती है।
श्री यादव ने कहा कि सीएए का विरोध केवल समाजवादी पार्टी नहीं कर रही है बल्कि विरोध में नौजवान, महिलाएं सभी बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं। भाजपाई तो पैसे से रैली में भीड़ लाते हैं। जिन्होंने हमें आजादी दिलाई, सुन्दर संविधान दिया उन्होंने कभी भाषा, धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया। यह भेदभाव भाजपा करती है। वे बताएं क्या वोट के लिए वे समाज में खाई पैदा करेंगे।
ज्ञातव्य है कि सीएए के समर्थन में मंगलवार को लखनऊ में भाजपा की रैली में श्री शाह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सीएए को लेकर बहस की चुनौती दी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा , बाबा मुख्यमंत्री ने तीन साल में कोई काम नहीं किया है। वे न तो गाय की सेवा कर पा रहे है और नहीं किसानों की फसल को आवारा पशुओं से बचा पा रहे हैं। अब तो किसान ही नहीं नौजवान भी आत्महत्या कर रहे हैं। फर्जी एनकाउण्टर हो रहे हैं। मानवाधिकार आयोग से सबसे ज्यादा नोटिसें उत्तर प्रदेश सरकार को मिली है।
श्री यादव ने कहा श् हम समाजवादी पक्के भारतीय है। मैं तो कभी इमरान खां से मिला नहीं। इतना हमें पता है कि गुजरात से चलकर लाठी लिए एक कपड़े से शरीर ढके व्यक्ति ने सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। भाजपा ने सत्य और अहिंसा दोनों का रास्ता छोड़ दिया है। वोट के लिए वे माहौल खराब करने का काम कर रहे हैं। बेहतर होता वे गुजरात में साबरमती आश्रम में जाकर समय गुजारते और गांधी जी के पढ़ाए पाठ को सीखते।
उन्होने कहा कि भाजपा नेता देश को उलझा कर रखना चाहते हैं। किसी समस्या के समाधान की उनसे आशा नहीं है। उन्होंने भारत के सम्मान कोए पहचान को ठेस पहुंचाई है। भाजपा राज में महोबा में बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की हैं। बेकारी बढ़ी है। नदियां साफ नहीं हैं। भाजपा सरकार अगर जाति आधारित जनगणना कराके उसके आंकड़े पेश कर दे तो हिन्दू.मुस्लिम का झगड़ा ही नहीं रहेगा। जातियों की समानुपातिक भागीदारी तय हो जाएंगी।