लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गणतंत्र दिवस पर समाजवादी पार्टी का महाघोषणा पत्र जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि आज हमारे देश में संविधान, गणतंत्र-लोकतंत्र और आजादी सब खतरे में है।
ट्विटर पर जारी की गई इस महाघोषणा में ‘नयी हवा है, नयी सपा है… बड़ों का हाथ, युवा का साथ’ का नारा दिया गया है और कहा गया है कि आइए घृणा और अविश्वास के स्थान पर मिल-जुलकर परस्पर प्रेम और आपसी विश्वास से समाज, प्रदेश और देश को मजबूत करें।
इसके पहले बयान जारी कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का आव्हान है कि 26 जनवरी 2021 गणतंत्र दिवस उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद में तहसील स्तर पर समाजवादी किसानों के साथ ट्रैक्टरों पर तिरंगा लगाकर ध्वजारोहण करेंगे। समाजवादी पार्टी प्रारम्भ से ही किसानों के समर्थन में है और किसान यात्रा, समाजवादी किसान घेरा तथा चौपाल कार्यक्रमों के जरिए उनके साथ अपनी एकता प्रदर्शित की है।
श्री अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा है कि भाजपा की गलतनीतियों के चलते देश का किसान दुःखी है। खेती और फसलों पर बड़े उद्योग घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की नज़र है। खेती में प्रयोग होने वाले सभी कृषि यंत्र, खाद, बीज, रसायन, डीजल, बिजली मंहगी है। किसान को उत्पादन की लागत भी नहीं मिल रही है। एमएसपी की अनिवार्यता और तीन कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की उचित मांग भी केन्द्र सरकार नहीं मान रही है।
किसान दो महीने से अपना शांतिपूर्ण धरना कर रहे हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को किसान निर्धारित रूटों पर ही निकालने को सहमत हैं। फिर भी भाजपा सरकार किसानों की नाकाबंदी कर रही है तो किसान ही भाजपा की नाकाबंदी कर देंगे। किसानों की आवाज को कुचलने के लिए साजिशें कर रही है। उत्तर प्रदेश में किसानों को नोटिसें देकर धमकाया जा रहा है कि उनके ट्रैक्टर जब्त कर लिए जाएंगे और वाहन स्वामी पर कार्रवाई होगी। पेट्रोल पम्पों को कहा गया है कि किसी ट्रैक्टर में डीजल न डालें, नहीं खुला तेल बेंचे।
समाजवादी कार्यकर्ताओं और किसानों के खिलाफ झूठे फर्जी मुकदमें लगाए जा रहे हैं। प्रशासन का यह रवैया असंवैधानिक है क्योंकि किसानों के प्रदर्शन के अधिकार को तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में प्रशासन का अवरोध पैदा करना अलोकतांत्रिक भी है। संचार माध्यमों का जैसा दुरुपयोग किया जा रहा है उससे सुरक्षा को भी खतरा हो चला है।
भाजपा नए कृषि कानूनों को लेकर हठधर्मिता पर उतर आई है। इन कानूनों से किसान बंधुआ मजदूर बन जाएगा। उसकी फसल के साथ जमीन पर भी संकट बढ़ गया है। अपने अस्तित्व के लिए प्रचंड शीतलहर में भी संघर्षशील है और दर्जनों किसान अपना बलिदान भी दे चुके हैं। भाजपा ने चंद कारपोरेट दोस्तों से अपवित्र गठबंधन के कारण पूरे देश के किसानों के जीवन पर दांव लगा दिया है।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों को लगातार धोखा देने का काम किया है। किसान की कर्जमाफी, आय दुगनी करने और लागत का ड्योढ़ा मूल्य देने के वादे धोखा साबित हुए है। किसान को धान, गेहूं और सरसों की कीमत कहां मिली है? सरकारी प्रचारतंत्र और भाजपा नेतृत्व अभी तक चीन, पाकिस्तान के खतरों का ढिंढोरा पीटता रहा है। अचानक उसे ट्रैक्टर ट्राली से खतरा पैदा हो गया है। सरकार को किसानों की बात मानकर गणतंत्र दिवस की गरिमा बचानी चाहिए और लोकतंत्र को बचाने के लिए यह भी जरूरी है।
श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में किसान पूरी तरह उपेक्षित रहा है। उनके नाम पर शुरू कथित योजनाएं केवल बिचौलियों को लाभ देने वाली रही है। किसान तो शोषण का शिकार ही हुआ है। किसान को खुले बाजार में बिचौलियों की दया पर छोड़ने की साजिशें हो रही है।
किसान जानते है कि समाजवादी सरकार के समय ही उन्हें गन्ना का बढ़ा मूल्य मिला था, एमएसपी पर धान गेहूं की खरीद हुई थी। गरीबों के लिए लोहिया ग्राम विकास और जनेश्वर मिश्र ग्राम विकास योजनाओं में गांवो की दशा बदलने का प्रयास हुआ था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कामधेनु, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन की योजनाएं शुरू की गई थी।
आज देश में समाजवादी पार्टी ही अकेली पार्टी है जो सही मायनों में किसानों के उन्नयन के लिए ईमानदारी से समर्पित है। किसान समुदाय भी समाजवादी नेतृत्व पर भरोसा करता है। किसान को विश्वास है कि 2022 में भाजपा से मुक्ति के बाद ही उसे खुशहाली का रास्ता मिलेगा। जनता अब बदलाव चाहती है। चार वर्ष में भाजपा सरकार ने करवट नहीं ली। भाजपा के आंख कान बंद है पर किसानों की आवाज बुलन्द है। भाजपा किसानों की आवाज दबाने की ताकत नहीं रखती है।
किसान दो महीने से अपना शांतिपूर्ण धरना कर रहे हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को किसान निर्धारित रूटों पर ही निकालने को सहमत हैं। फिर भी भाजपा सरकार किसानों की नाकाबंदी कर रही है तो किसान ही भाजपा की नाकाबंदी कर देंगे। किसानों की आवाज को कुचलने के लिए साजिशें कर रही है। उत्तर प्रदेश में किसानों को नोटिसें देकर धमकाया जा रहा है कि उनके ट्रैक्टर जब्त कर लिए जाएंगे और वाहन स्वामी पर कार्रवाई होगी। पेट्रोल पम्पों को कहा गया है कि किसी ट्रैक्टर में डीजल न डालें, नहीं खुला तेल बेंचे।
समाजवादी कार्यकर्ताओं और किसानों के खिलाफ झूठे फर्जी मुकदमें लगाए जा रहे हैं। प्रशासन का यह रवैया असंवैधानिक है क्योंकि किसानों के प्रदर्शन के अधिकार को तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में प्रशासन का अवरोध पैदा करना अलोकतांत्रिक भी है। संचार माध्यमों का जैसा दुरुपयोग किया जा रहा है उससे सुरक्षा को भी खतरा हो चला है।
भाजपा नए कृषि कानूनों को लेकर हठधर्मिता पर उतर आई है। इन कानूनों से किसान बंधुआ मजदूर बन जाएगा। उसकी फसल के साथ जमीन पर भी संकट बढ़ गया है। अपने अस्तित्व के लिए प्रचंड शीतलहर में भी संघर्षशील है और दर्जनों किसान अपना बलिदान भी दे चुके हैं। भाजपा ने चंद कारपोरेट दोस्तों से अपवित्र गठबंधन के कारण पूरे देश के किसानों के जीवन पर दांव लगा दिया है।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों को लगातार धोखा देने का काम किया है। किसान की कर्जमाफी, आय दुगनी करने और लागत का ड्योढ़ा मूल्य देने के वादे धोखा साबित हुए है। किसान को धान, गेहूं और सरसों की कीमत कहां मिली है? सरकारी प्रचारतंत्र और भाजपा नेतृत्व अभी तक चीन, पाकिस्तान के खतरों का ढिंढोरा पीटता रहा है। अचानक उसे ट्रैक्टर ट्राली से खतरा पैदा हो गया है। सरकार को किसानों की बात मानकर गणतंत्र दिवस की गरिमा बचानी चाहिए और लोकतंत्र को बचाने के लिए यह भी जरूरी है।
श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में किसान पूरी तरह उपेक्षित रहा है। उनके नाम पर शुरू कथित योजनाएं केवल बिचौलियों को लाभ देने वाली रही है। किसान तो शोषण का शिकार ही हुआ है। किसान को खुले बाजार में बिचौलियों की दया पर छोड़ने की साजिशें हो रही है।
किसान जानते है कि समाजवादी सरकार के समय ही उन्हें गन्ना का बढ़ा मूल्य मिला था, एमएसपी पर धान गेहूं की खरीद हुई थी। गरीबों के लिए लोहिया ग्राम विकास और जनेश्वर मिश्र ग्राम विकास योजनाओं में गांवो की दशा बदलने का प्रयास हुआ था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कामधेनु, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन की योजनाएं शुरू की गई थी।
आज देश में समाजवादी पार्टी ही अकेली पार्टी है जो सही मायनों में किसानों के उन्नयन के लिए ईमानदारी से समर्पित है। किसान समुदाय भी समाजवादी नेतृत्व पर भरोसा करता है। किसान को विश्वास है कि 2022 में भाजपा से मुक्ति के बाद ही उसे खुशहाली का रास्ता मिलेगा। जनता अब बदलाव चाहती है। चार वर्ष में भाजपा सरकार ने करवट नहीं ली। भाजपा के आंख कान बंद है पर किसानों की आवाज बुलन्द है। भाजपा किसानों की आवाज दबाने की ताकत नहीं रखती है।