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योगी सरकार द्वारा छात्र नेताओं से किये जा रहे बर्बरतापूर्ण व्यवहार का, अखिलेश यादव ने किया इसतरह विरोध

लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार द्वारा छात्र नेताओं से किये जा रहे बर्बरतापूर्ण व्यवहार का अलग तरह से विरोध  किया है। उन्होने शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे  उन छात्रों की सूची जारी की है जो अब जेलों मे बंद हैं।

अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते उत्तर प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। शैक्षिक वातावरण पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार हो चला है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कल शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठे छात्रनेताओं पर जिस बर्बरता से हमला हुआ वह निंदनीय है। इस हमले में सर्वश्री अवनीश यादव इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष, सुश्री ऋचा सिंह पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, निर्भय द्विवेदी महामंत्री तथा छात्र नेता दिनेश यादव और रोहित मिश्र, घायल हुए हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं शासन प्रशासन का छात्रों के प्रति व्यवहार स्वस्थ नहीं है।

 भाजपा सरकार के कार्यकाल में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, गोरखुपर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा कई अन्य विश्वविद्यालयों एवं राज्य के महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की आवाज दबाई जा रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रशासनिक तानाशाही का विरोध करने पर छात्र-छात्राओं को निलम्बन, निष्कासन, पुलिस की प्रताड़ना व जेल का भी सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक द्वेषवश सुश्री पूजा शुक्ला, माधुर्य सिंह, सृजन शुक्ला सहित दो दर्जन अन्य छात्रों को मेरिट सूची में होने के बावजूद प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया है। शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन के अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने पर 75 दिनों से लखनऊ जेल में 14 छात्र बंदी बनाकर रखे गए हैं।

 लखनऊ की जेल में बंदी छात्रों के नाम हैं सर्वश्री अंकित सिंह बाबू, आशीष मिश्रा बाक्सर, प्रशांत मिश्र, आकाश लाला, मो0 शादान, शिवम् मिश्रा, अशोक कुमार प्रभात, ऋषि प्रताप सिंह, विनय यादव, हिमांशु यादव, आयुष मिश्रा, दिव्यांशु सिंह, संदीप पटेल, रजत अवस्थी तथा नीरज शुक्ला। इन छात्रों के भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। इन छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

 भाजपा-आरएसएस की मनोवृत्ति विरोध के प्रति पूर्णतया नकारात्मक और असहिष्णुता की है। इसीलिए छात्रसंघो का चुनाव टाला जा रहा है क्योंकि जहां-जहां चुनाव हो रहे है उनकी विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पराजय झेल रही है। दुर्भावना, भेदभाव, राजनीतिक छुआछूत के आधार पर कार्यवाही से युवकों से असंतोष बढ़ रहा है। विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक अधिकारी भाजपाई एजेंडा को लागू करने के लिए अपनी सीमाओं से बाहर जाकर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

नैतिकता की चर्चा तो भाजपा सरकार बहुत करती है लेकिन जनतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात करने और अनैतिक तरीके से लोकतंत्र की भावना को कुचलने में वह पीछे नहीं रहती है। भाजपा सरकार पूर्णतया संवेदनशून्य है। नौजवानों के प्रति राग-द्वेषपूर्ण  और क्रूरतापूर्ण आचरण उनके असंतोष को विस्फोटक रूप दे सकता है।