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अखिलेश यादव ने दिया, बॉलीवुड की इस फिल्म अभिनेत्री को अपना समर्थन

लखनऊ, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बॉलीवुड की फिल्म अभिनेत्री का एक मुद्दे को लेकर समर्थन किया है।

उत्तर प्रदेश में करीब 500 किलोमीटर लंबे इंडो-नेपाल बार्डर रोड प्रोजेक्ट के लिए यूपी में जल्द ही 55,000 पेड़ काटे जाएंगे। बॉलीवुड फिल्मों की अभिनेत्री रवीना टंडन ने इस ओर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की है और इस पर चिंता जताई है। जिसे अखिलेश यादव ने समर्थन दिया है।

इंडो-नेपाल बार्डर रोड प्रोजेक्ट मे 55,000 पेड़ काटने के साथ-साथ नेपाल सीमा के साथ छह जिलों में फैले दो बाघ अभयारण्यों और तीन वन्यजीव अभ्यारण्य से होते हुए सड़क का निर्माण किया जाएगा। इस मे मुख्य रूप से उन क्षेत्रों व तराई क्षेत्रों के पेड़ों को काटा जाएगा जो बाघ, तेंदुए, भालू, हिरण, पक्षियों सहित कई जानवरों की विलुप्त होती प्रजातियों का घर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों को परियोजना पर काम करने के निर्देश दे दिए हैं।

फिल्मअभिनेत्री रवीना टंडन ने इस ओर चिंता जताई है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट में एक इससे संबंधित एक खबर को शेयर करते हुए कहा कि बौद्ध के अनुसार जंगल में सबसे सीधे खड़े पेड़ों को ही काटा जाता है।

Raveena Tandon✔@TandonRaveena“The straightest trees in a forest are the ones that are cut first”..Buddhist saying. Over 50,000 trees to be axed in Uttar Pradesh's tiger habitat

Over 50,000 trees to be axed in Uttar Pradesh’s tiger habitat. The official document states that of the 55,000 trees marked to be axed, many are over 200 years old

 अखिलेश यादव ने रवीना टंडन के इस ट्वीट को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर रिट्वीट करते हुए उनका चिंता को जायज ठाहराया और लिखा कि एक तरफ़ देश के मुखिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरियाली बढ़ाने का वादा करते हैं, दूसरी तरफ़ यूपी के मुखिया 55,000 पेड़ों की बलि दे रहे हैं।

उन्होंने आगे लिखा कि सपा कार्यकाल में पर्यावरण और पारिस्थितिकी संरक्षण हेतु एक विशेष राशि आवंटित थी। यही है विकासात्मक दृष्टिकोण का भेद-

Akhilesh Yadav✔@yadavakhilesh

एक तरफ़ देश के मुखिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरियाली बढ़ाने का वादा करते हैं, दूसरी तरफ़ उप्र के मुखिया 55000 पेड़ों की बलि दे रहे हैं।सपा कार्यकाल में पर्यावरण और पारिस्थितिकी संरक्षण हेतु एक विशेष राशि आवंटित थी। यही है विकासात्मक दृष्टिकोण का भेद।