लखनऊ , लाकडाउन के कारण देश में बेरोजागरी बढ़ने की आशंका व्यक्त करते हुये समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार को संक्रमण को रोकने के साथ साथ आने वाली विषम परिस्थिति से निपटने का रोड मैप भी तैयार कर लेना चाहिये।
अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना आपदा के कारण लाॅकडाउन के चलते निजी क्षेत्र में 85 प्रतिशत और असंगठित क्षेत्र के 93 प्रतिशत
श्रमिकों का जीवन घोर संकट में है।
स्थिति यहां तक विकट है कि देश में बेकारी की दर 23 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है। यह संख्या अभी और भी बढ़ने वाली है।
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विभिन्न प्रदेशों में काम करने वाले श्रमिक और कामगार लाखों की संख्या में अपने गांवों की तरफ पलायन करने को मजबूर हुए हैं।
उन्होने कहा कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू लाॅकडाउन के कारण दो हफ्तो में पांच करोड़ लोगों के बेरोजगार हो जाने की सूचना
चिंताजनक है।
इन आंकड़ों की समीक्षा कर सरकार को बेरोजगारी से प्रभावित परिवारों की मदद के लिये रोडमैप तैयार करना चाहिये वर्ना भुखमरी से हालात
भयावह हो सकते हैं। सबको रोटी, दवाई एवं लाॅकडाउन के बाद रोजगार मिले ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सपा रोजगार अथवा बेरोजगारी का भत्ता के लिए संघर्ष करती रही है।
समाजवादी सरकार बनने पर बेरोजगारी भत्ता देने का कार्यक्रम भी लागू किया गया था।
अमेरिका सहित दुनिया के बहुत से राष्ट्रों में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की व्यवस्था है। जब तक नौजवान धंधे से नहीं लग जाते है, नौकरी-
रोजगार नहीं मिल जाता है, तब तक राज्य सरकार को जीवनयापन के लिए पर्याप्त बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
बेरोजगार नौजवानों को एक या दो हजार की मासिक मदद नाकाफी हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी में लाॅकडाउन में फंसे पूर्वांचल के 4 लाख 30 हजार बुनकर परिवारों के समक्ष खाने का संकट है।
इन बुनकर परिवारों के कामधंधे बंद हैं। आमदनी न होने से वे बाजार दर पर खाद्य सामग्री, सब्जी, दवाएं खरीद नहीं पा रहे।
उनके लिए तत्काल राहत पैकेज का एलान करना चाहिए।
अखिलेश यादव ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में लगे मजदूर वैधखेड़ा के पास फंसे हुए हैं।
न उनके पास राशन बचा है और नहीं पैसा। वे 112 नं0 की सेवा लेने में भी डर रहे हैं। उनके हालात का संज्ञान लेकर मदद पहुंचानी चाहिए।
उन्होने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पूरा देश एकजुट है। इससे बचाव के एहतियात बरतने की सभी से अपेक्षा की जाती है।
लेकिन इस महामारी के प्रकोप के समय गरीबों, मजदूरों और समाज के कमजोर वर्गों के हितों की भी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।