प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक को हटाकर मुहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश को विभेदकारी नही मानते हुए चुनौती याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रोशन खान समेत कई अन्य की जनहित याचिकाओ पर फैसला सुनाते हुए दिया है। न्यायालय ने कहा है कि सरकार ने कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी समुदाय विशेष के साथ भेदभाव नही किया गया है। जन्माष्टमी पर झांकी व गणेश चतुर्थी पर पंडाल पर भी रोक लगी है। उसी तरह मुहर्रम में ताजिया निकालने पर भी रोक लगी है। किसी समुदाय को टार्गेट करने का आरोप निराधार है। सरकार ने कोरोना फैलाव रोकने के लिए कदम उठाया है।
याची का यह कहना कि पुरी की रथयात्रा और मुंबई के जैन मंदिर में पर्यूषण प्रार्थना की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी। न्यायालय ने कहा कि उसकी तुलना ताजिया दफनाने व अन्य समारोह करने से नही की जा सकती। न्यायालय ने कहा है कि हम समुद्र के किनारे खडे हैं, कब कोरोना लहर हमें गहराई में बहा ले जायेगी ,हम अंदाजा नही लगा सकते। हमें कोरोना के साथ जीवन जीने की कला सीखनी होगी।
न्यायालय ने कहा कि भारी मन से हम ताजिया निकालने की अनुमति नही दे रहे है। हमें विश्वास है भविष्य में ईश्वर हमें अपनी धार्मिक परंपराओं के साथ धार्मिक समारोहों के आयोजन का अवसर देगे। याचिका पर वरिष्ठअधिवक्ता वी एम जैदी , एस एफ ए नकवी,के के राय ने बहस की। इनका का कहना था कि धार्मिक समारोहों पर लगी रोक धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का हनन है। सरकार धार्मिक भेदभाव कर रही है। कई त्योहार मनाने की छूट दी गयी है और ताजिया निकालने की अनुमति नही दी जा रही है।
राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि धार्मिक स्वतंत्रता पर कानून व्यवस्था, नैतिकता, लोक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकार ने अगस्त माह मे सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी के साथ भेदभाव नही किया गया है। कोविड 19 के प्रकोप को देखते हुए धार्मिक कार्यक्रम घरों में रहकर मनाने का अनुरोध किया गया है।
अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता का कहना था कि उडीसा में जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की अनुमति की तुलना मोहर्रम जूलूस के लिए करना गलत होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने रथयात्रा की अनुमति देते समय कहा था कि उडीसा में कोरोना कन्ट्रोल में है और वहाँ मृत्यु दर काफी है । फिर वहाँ एक छोटे से शहर में छोटी दूरी की यात्रा थी, और वहाँ सीमित लोगों को ही अनुमति थी।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। शनिवार को दोपहर बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए धार्मिक कार्यक्रम पर रोक के शासनादेशो के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी है।