लखनऊ, समाजवादी पार्टी सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी होने के बावजूद पूर्व महासचिव और राज्यसभा सांसद अमर सिंह के यादव परिवार के अहम सदस्य प्रो रामगोपाल से विचार कभी नहीं मिले।
दोनो नेताओं के बीच यूं तो ज्यादा बातचीत नहीं होती थी लेकिन वर्ष 2010 में दोनो के बीच जुबानी तकरार इस कदर हावी हुयी कि अमर सिंह ने कहा कि विवाद पर खेद व्यक्त करते हुये प्रो रामगोपाल ने उनसे माफी मांग ली है वहीं प्रो यादव का कहना था कि अमर सिंह कोई खुदा नहीं है जो वह उनसे माफी मांगेगे।
दरअसल, 2010 में सैफई महोत्सव में अमर सिंह को आमंत्रित किया गया था लेकिन कुछ खास मुद्दों को लेकर उनकी रामगोपाल से अनबन हो गई ओर मामला माफी और खुदा तक आ पहुंचा। उस समय रामगोपाल यादव ने मीडिया की उन रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अमर सिंह से माफी मांग ली है।
उन्होंने कहा था “ मैंने मुलायम सिंह से अमर सिंह की शिकायत की कर दी है और वह जो भी फैसला लेंगे मुझे स्वीकार्य होगा।”
प्रो यादव ने कहा था कि अमर सिंह कोई खुदा नहीं है कि वह मुझे माफ कर देंगे और ना ही मैंने कोई गलती की है कि उनसे माफी मांगू। मीडिया में अमर सिंह के हवाले से रिपोर्ट आई थी कि फोन करके रामगोपाल यादव ने माफी मांगी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रामगोपाल ने कहा कि अमर सिंह अपना दिमागी संतुलन खो चुके हैं।
अमर सिंह की टिप्पणियों से नाराज प्रो यादव ने इसकी शिकायत मुलायम सिंह से भी की थी और कहा था कि जब सब कुछ धीरे-धीरे सामान्य हो रहा था तो ऐसी टिप्पणियों का कोई मतलब नहीं था।
अमर सिंह की आज सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कभी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दाहिने हाथ माने जाने वाले अमर सिंह की शायराना अंदाज के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अलग पहचान थी।
नवंबर 1996 में वे राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए हैं जबकि 2008 में मनमोहन सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान भाजपा के तीन सांसदों ने संसद में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां दिखाई थीं। सांसदों ने आरोप लगाया कि मनमोहन सरकार ने अमर सिंह के माध्यम से उनके वोट खरीदने की कोशिश की थी। छह सितंबर 2011 को अमर सिंह भाजपा के दो सांसदों के साथ तिहाड़ जेल भेजे गए।
अमर सिंह ने इसके बाद राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी की स्थापना की। 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय लोकमंच के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 2014 में अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी बुरी तरह हारे। उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा भी की थी।