देश में कोरोना संकट के बीच, दिख रही है ये आशा की किरण
April 7, 2020
नयी दिल्ली , देश में कोरोना संकट के बीच आशा की किरण भी दिखायी दे रही है। देश मे मौत से लगभग तीन गुना ज्यादा लोग स्वस्थ भी हो रहें हैं।
देश में सोमवार शाम तक पिछले 24 घंटों की अवधि के दौरान कोरोना वायरस (कोविड-19) के 693 से अधिक मामले सामने आने के बाद कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 4281 हो गई । स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता एवं संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने सोमवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि रविवार से सोमवार शाम तक देश में कोरोना के 693 से अधिक मामले सामने आए हैं और अब तक कोरोना से 111 लोगों की मौत हो गई है तथा एक प्रवासी व्यक्ति समेत 319 लोगों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
उन्होंने बताया कि अब तक तबलीगी जमात के सभी मामलों को मिलाकर इस जमात से जुड़े संक्रमित लोगों की संख्या 1445 हो गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि अगर लिंग आधारित संक्रमण प्रतिशत की बात करें तो 76 फीसदी मामले पुरुषों में और 24 प्रतिशत मामले महिलाओं में पाए गये हैं। आयु के अनुसार 47 प्रतिशत संक्रमण के मामले 45 वर्ष से कम आयु, 34 प्रतिशत मामले 40 से 60 वर्ष और 19 प्रतिशत मामले 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में पाए गए हैं। कोरोना वायरस से अब तक हुई 109 लोगों की मौत का प्रतिशत आंकड़ा दर्शाता है कि 73 प्रतिशत मौतें पुरुषों और 27 प्रतिशत मौतें महिलाओं में हुई हैं।
उन्होंने बताया कि जितनी मौतें हुई हैं उनमें 86 प्रतिशत मरीज ‘कोमोरबिडिटी ” की अवस्था में थे यानि इन मरीजों में मधुमेह, लंबे समय से चली आ रही गुर्दों की बीमारियां, दिल की बीमारियां भी थीं। इनमें 63 प्रतिशत मौतें बजुर्गों की हुई हैं और 37 प्रतिशत मौतें 60 वर्ष से कम आयु वर्ग की है। उन्होंने बताया कि जिन युवाओं में इस तरह की बीमारियां थीं वे भी इसकी चपेट में आए हैं और इसे देखते हुए युवा वर्ग को सामाजिक दूरी तथा लॉकडाउन के नियमों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के कोरोना संक्रमण के सामुदायिक स्तर पर पहुंचने संबंधी एक साक्षात्कार का स्पष्टीकरण देते हुए श्री अग्रवाल ने कहा,“ उन्होंने जो बात कही है वह हमारे उन बयानों से भिन्न नहीं है और हम भी यही कहते आ रहे हैं कि अगर लिमिटेड मामले आते हैं तो हम “क्लस्टर कंटेनमेंट” यानी समूह उपचार रणनीति अपनाते हैं और अगर अधिक मामले सामने आते हैं तो हम उसके बारे में ‘एडवांस्ड’ रणनीति अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि श्री गुलेरिया ने जो कहा है वह इसी बात से जुड़ा है और उनका कथन ‘लोकेलाइज्ड ट्रांसमिशन’ को लेकर है कि किसी खास क्षेत्र में केस अधिक पाए जा रहे हैं और आज हम स्टेज दो से तीन के बीच हैं और इसका अर्थ है कि हमें स्टेज तीन में पहुंचने से पहले सावधानी बरतनी है। इतने बड़े देश में अगर किसी भी क्षेत्र में अधिक मामले पाए जाते हैं तो उससे निपटने की हमारी स्पष्ट रणनीति है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि आज मंत्रिमंडल की एक बैठक हुई थी जिसमें कोरोना वायरस के संकट से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने पर विचार-विमर्श किया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्वारंटीन को लेकर कल दिशा-निर्देश जारी किए थे जिनमें क्वारंटीन मरीजों की सुविधाओं, लोगों में लक्षणों के आधार पर इलाज पर जोर दिया गया है। इनमें उपचार, इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के डिस्पोजल को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। लॉकडाउन के दौरान जनता में किसी भी तरह के तनाव और चिंताओं को कम करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर काफी जानकारी युक्त वीडियो अपलोड किए हैं।
इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पांच अप्रैल को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए मास्कों की सिलाई पर जोर दिया है और ये मास्क मंत्रालय की ओर से सुझाए गए पहले वाले मास्क से अलग हैं तथा इन्हें भीड़-भाड़ वाले इलाकों मे जाने से पहले पहना जा सकता है और यह सिर्फ ‘प्रोटेक्टिव बैरियर” की तरह काम करेगा। ये फेस कवर पहले वाले मास्क से अलग हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले 30 दिनों में भारतीय रेलवे ने 1340 वैगन के जरिए चीनी, 958 वैगन के जरिए नमक और 360 वैगन के जरिए खाने के तेल की आपूर्ति विभिन्न राज्यों में की है। नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट और प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के तहत लॉकडाउन को देखते हुए देश के हर हिस्से में भोजन स्टाक की जरूरत का आकलन किया जा रहा है।
इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 13 राज्यों में लाॅकडाउन से अब तक 1़ 3 लाख टन गेंहू और आठ राज्यों में 1़ 32 लाख टन चावल भेजा है। इसके अलावा एफसीआई के केन्द्रीय पूल में चार अप्रैल तक 55़ 47 मिलियन टन अनाज था। केन्द्र सरकार ने राज्यों को एनएचएम और एसडीआरएफ के तहत फंड के इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी जिसमें कोविड-19 के मरीजों के सर्विलांस, उपचार, दवाओं और ऐसे विशेष अस्पताल बनाने पर आने वाला खर्च शामिल है और 1100 करोड़ रुपए की धनराशि को खर्च करने की अनुमति पहले ही दे दी थी और कल केन्द्र सरकार ने राज्यों को तीन हजार करोड़ रुपए की धनराशि जारी की है। इसके अलावा केन्द्र सरकार अपने पूल से राज्यों को एन-95 मॉस्क, पीपीई, नये वेंटीलेटर वेंटीलेटर की खरीद और अन्य सामग्री मुहैया करा रही है। सभी राज्यों के जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, जिला सर्विलांस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए आपदा प्रबंध समिति में एकरूपता रहे। हमारा प्रयास इस हालत में और बेहतर तैयारी और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने का रहा है।
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकारों के साथ लाॅकडाउन के प्रावधानों के क्रियान्वयन को लेकर लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है और आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं की आपूर्ति अभी तक संतोषजनक है। इसके अलावा गृह सचिव ने सभी राज्यों को कोविड-19 से निपटने में मेडिकल ऑक्सीजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि इसकी आपूर्ति हर हाल मेें जरूरी है और इसके उत्पादन तथा वितरण में किसी तरह का कोई भी व्यवधान नहीं होना चाहिए। इसकी आपूर्ति को सुनिश्चित करते समय सामाजिक दूरी को बनाया जाना भी जरूरी है। आज फिर इस मामले में गृह सचिव ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखा है।
उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों के सहयोग से तबलीगी जमात से जुड़े 25500 से अधिक स्थानीय लोगों और उनके संपर्कों की पहचान कर उन्हें क्वारंटीन में रखवाया है और हरियाणा में जहां इस जमात से जुड़े विदेशी लोग रह रहे थे और उनके संपर्क में आये पांच गांवों को सील कर दिया गया है। तबलीगी जमात से जुड़े 2083 विदेशियों में 1750 को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है।
इस दौरान भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) के महामारी रोग विभाग के प्रमुख डाॅ रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि रैपिड एंटीबाडी टेस्ट में सहायक अभी तक पांच लाख ऐसी किट का आर्डर किया गया है। इनमें से ढाई लाख किट आठ या नौ अप्रैल को आपूर्ति कर दी जायेंगी।