मेरठ, उत्तर प्रदेश में मेरठ से करीब 12 किलोमीटर दूर भावनपुर के रसूलपूर औरंगाबाद गांव में मध्यकालीन सूर्यदेव की एक प्राचीन मूर्ति मिली है जिसका सिर गर्दन के ऊपर से टूटा हुआ है।
ग्राम प्रधान मोहित ने बताया कि पत्थर की यह मूर्ति काली नदी के पास खुदाई के दौरान मिली थी और इसे प्राचीन मानते हुए कुछ ग्रामीणों की सुपुर्दगी में गांव के मंदिर में रखवा दिया गया था। उन्होंने बताया कि मूर्ति के गर्दन से ऊपर का हिस्सा टूटे होने के कारण उसे ठीक करवाने के लिये हस्तिनापुर के एक मूर्तिकार के पास भेजा गया था।
वरिष्ठ पुरातत्ववेत्ता, इतिहासकार एवं कैलाश दीप शिखर संग्राहलय के अध्यक्ष सतीश जैन ने आज कहा कि प्राचीन मूर्तियों में रूचि होने के कारण वह मूर्तिकार के संपर्क में थे और उन्हें इस सूर्यदेव की मूर्ति के बार में सूचना मिली। उन्होंने कहा कि इतिहासकार एवं पुरातत्तव विशेषज्ञों की एक टीम के साथ उन्होंने इस मूर्ति का निरीक्षण जो करीब 11 सौ वर्ष पुरानी मध्यकालीन युग की है।
श्री जैन ने बताया कि करीब ढाइ फुट ऊंची और डेढ़ फुट चौडी बेहद आकर्षक इस मूर्ति के कर्ण सज्जा,ऊंचे जूते, आभूषण,कमर में बैल्ट, जवाहारात लगी तगड़ी और चेन आदि की शैली से ही इसके मध्यकालीन होने का पता चलता है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर सूर्यदेव की प्रतिमायें सात घोड़ों के रथ पर बैठे हुए दृशाई गई हैं ,लेकिन यह मूर्ति खड़े हुए है।
श्री जैन के अनुसार पुरातात्विक महत्व की इस मूर्ति को विशेषज्ञों की एक टीम ने अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट इंकार कर दिया। उनका कहना था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम को ही इसे सौंपा जा सकता है जो इसकी जांच करे।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि एएसआई को काली नदी के किनारे खुदाई करवानी चाहिये, क्योंकि वहां कभी एक प्राचीन मंदिर था और समय के साथ नष्ट हो गया लेकिन वहां से प्राचीन धरोहरें मिलने की काफी संभावना है।