लखनऊ, रंगमंच कलाकार आनंद प्रह्लाद की मौत से बीजेपी सरकार पर बुद्धिजीवियों का गुस्सा भड़क उठा है। बीजेपी सरकार की असंवेदशीलता को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार कर रहें हैं।
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25 वर्षों से अपनी प्रतिभा से विभिन्न नाटकों का मंचन करने वाले आनंद प्रह्लाद का निधन रविवार को हो गया।सुबह 10:30 बजे लोहिया हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली उनके निधन की खबर सुनते ही कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई। मूल रूप से संडीला के रहने वाले आनंद ने रंगमंच मे अपने संघर्ष और मेहनत से एक अलग स्थान बनाया। उन्होने अपनी संस्था अभिमंच कला एकांश के माध्यम से कई नये कलाकारों को तैयार किया।
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11 जुलाई को मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे, जहां पता लगा कि उन्हें कैंसर है और काफी फैल चुका है। केजीएमयू में एडमिट होने के बाद उन्हें उचित इलाज नहीं मिला, उन्होंने अपनी व्यथा Facebook पर भी व्यक्त की थी। वह अंतिम समय बहुत अधिक आर्थिक संकट में थे, उनके कई नाटकों की कई वर्षों की ग्रांट सरकारी विभागों में फंसी हुई है।आनंद की आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था । आनंद प्रह्लाद ने अपनी देह दान कर दी है। उनकी इच्छा थी कि उनकी मृत्यु पर शोक सभा का आयोजन न कर उनको तालियों से श्रद्धांजलि दी जाए ।
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आनंद प्रह्लाद की मौत पर बीजेपी सरकार पर बुद्धिजीवियों का गुस्सा भड़क उठा है। लोग बीजेपी सरकार की असंवेदशीलता को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार कुछ इस तरह कर रहें हैं-
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प्रसिद्ध रंगकर्मी जितेंद्र मित्तल ने आनंद प्रह्लाद के निधन को दुर्भाग्यशाली बताते हुये कहा कि सरकार को कलाकारों की दयनीय दशा का शायद आभास नही है, 28 महीनों से आनंद प्रह्लाद की ग्रांट रूकी हुयी थी, उसने सबसे गुहार लगाई, पर कोई सुनवाी नही हुई। आखिर पैसे के अभाव मे उनका सही ईलाज नही हो पाया…
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वरिष्ठ पत्रकार, नवेद शिकोह के शब्दों मे-
स्ट्रगल.. स्ट्रगल…. स्ट्रगल.. और सिर्फ स्ट्रगल। फिर अभावों में मौत। ऐसे में भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाओं को जिन्दा रखने के लिये कब तक मरते रहेंगे कलाकार। धनाभाव की दलदल में अपने परिवार को छोड़ गये लखनऊ के कर्मठ रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद । मुफलिसी के बीच रंगकर्म की कांटों भरी डोर पकड़े – पकड़े जीवन की डोर छोड़ गया एक और रंगकर्मी………… आशा है न्याय प्रिय मुख्यमंत्री माननीय आदित्य नाथ योगी जी गरीब रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद के परिजनों को आर्थिक सहयोग देकर हम सब रंगकर्मियों के आंसू पूछने का काम अवश्य करेंगे और भारत सरकार के संस्कृति मंत्री माननीय महेश शर्मा जी आनंद की नाट्य संस्था की फंसी रकम मरहूम के परिजनों तक जल्द से जल्द पंहुचायेंगे।
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Arshad Ali Bahoot dukh ki baat hai ki lucknow rangmanch ki aur yahan k kalakaron ki badhali ki oor sarkar koi dhyan nahi de rahi…anand ji jaise pratibhawan aur karmath kalakaron ka jeewan kala ko samarpit ho jata hai aur sarkarain bhool jatin hain…
Arshad Ali Yahan k sarkari hospital ki vyavastha ka haal anand ji swanvya bata chuke ki koi bhi pursan e haal nahi..kya aisa he chalta rahega
Ratnakar Maurya नावेद भाई हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं आपने अपने स्तर से एक जीवट रंगकर्मी आनंद प्रह्लाद जो इस मृत्युलोक को छोड़कर परमात्मा के पास जा पहुंच गए हैं उनके परिवार को आर्थिक सहायता के लिए आपका प्रयास सराहनीय है मैं आपसे सहमत हूं
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Prabhat Kumar Bose आनंद कभी मरते नही, संशकृित के क्षेत मे आप अमर हो गये, लेकीन कया आप की आवाज भारत सरकार तक पहुचे गी